logo-image

खुश रहने वाले डायबिटीज से रहते है दूर, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

आजकल की भाग दौड़ और तनाव भरी जिंदगी में शारीरिक और मानसिक बीमारियां सेहत पर बुरा असर डालती है।

Updated on: 24 Jul 2017, 08:48 PM

नई दिल्ली:

आजकल की भाग दौड़ और तनाव भरी जिंदगी में शारीरिक और मानसिक बीमारियां सेहत पर बुरा असर डालती है। खुश रहना अच्छे और बेहतर स्वास्थ्य की कुंजी हैं और जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया ही हमें खूबसूरत बनाता है। ऊर्जावान और जीवन में आगे बढ़ने के लिए खुश रहना बहुत जरूरी है। एक अध्ययन के मुताबिक, जो लोग अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी में सकारात्मक भावनाओं का अनुभव करते हैं उनमे समय से पहले मौत का जोखिम कम रहता है।

ऐसा कहते है खुश रहने वाला इंसान बीमारियों से दूर रहता है लेकिन अब ये साबित भी ही चुका है

अमेरिका में कॉर्नेल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग खुश रहते है वो ऊर्जावान रहने के साथ-साथ मानसिक और शारीरिक बीमारियों से दूर रहते है। उनमे डायबिटीज, दिल के रोग और असमय मौत का जोखिम कम रहता है।

और पढ़ें: मानसून में न करें फिटनेस से समझौता, डांस वर्कआउट से एक्सरसाइज को बनाये मजेदार

शोधकर्ताओं ने 40 से 65 वर्ष की आयु के 175 लोगों के आंकड़ों का विश्लेषण किया जिन्होंने 30 दिनों के लिए अपनी नकारात्मक और सकारात्मक इमोशंस की सूचना दी।

उन्होंने हर शाम  दिलचस्पी, खुश, उत्साहित, प्रेरित, सतर्क, सक्रिय और स्ट्रांग जैसे 16 सकारात्मक इमोशंस को रेट किया।

शोधकर्ताओं ने डर, परेशानी, चिड़चिड़ापन, शर्मिंदा सहित 16 इमोशंस को अनुभव करने के बाद रेट करने के लिए कहा। शोधकर्तओं ने शोध में शामिल हुए लोगों का खून जांच किया। जांच में पाया गया कि नकारात्मक भावनाओं का सूजन पर कोई असर नहीं पड़ा।

और पढ़ें: बारिश में बह ना जाए आपका आई मेकअप, ऐसे लगाएं लाइनर

अध्ययन में जिन लोगों ने पॉजिटिव इमोशंस अनुभव किया उनमे कम सूजन पाई गयी। 'इमोशन जर्नल' की लेखक ओंग ने कहा, 'इमोशंस किसी भी इंसान के लिए कार्यात्मक भूमिकाएं निभाती हैं और व्यवहार को प्राथमिकता करने में मदद करती हैं।'

अन्य शोधों के बढ़ते प्रमाण से पाया गया कि सूजन के साथ भावनात्मक प्रक्रियाएं जुड़ी हुई हैं, ऐसे में एथीरोसेक्लोरोसिस, मधुमेह, और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों के साथ समय से पहले मौत का खतरा भी बढ़ जाता है।

और पढ़ें: अनुभव सिन्हा ने कहा- 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' गढ़ेगी सफलता का नया अर्थशास्त्र