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नोटबंदी के बाद पहली बार बाजार में सामान्य हुआ नकद लेन-देन, ब्याज दरों में कटौती से होगा विकास

आरबीआई ने बुधवार को वाणिज्यिक बैंकों के रेपो या अल्पकालिक ऋण दर को 6.25 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया है।

Updated on: 02 Aug 2017, 10:44 PM

highlights

  • आरबीआई ने वाणिज्यिक बैंकों के रेपो दर को 6.25 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया है
  • 7 जुलाई तक नोटबंदी के पहले जितनी मुद्रा प्रचलन में थी, उसका 84 फीसदी वापस बाजार में पहुंच चुका है
  • पिछले साल 8 नवंबर तक 500 और 1000 रुपये के कुल 15.44 करोड़ मुद्रा प्रचलन में थी

 

नई दिल्ली:

देश में निवेश में तेजी लाने की अत्यावश्यक जरूरत को देखते हुए तथा मुद्रास्फीति में पिछले तिमाही आई गिरावट के कारण भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने प्रमुख ब्याज दर में 25 आधार अंक की कटौती की है। आरबीआई के गर्वनर उर्जित पटेल ने बुधवार को यह बातें कही।

आरबीआई द्वारा यहां जारी तीसरी द्विमासिक नीति समीक्षा के दौरान बयान में कहा गया, 'मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने पाया कि मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी का जोखिम कम है या फिर फिलहाल इसका खतरा नहीं है। इसी अनुसार मौद्रिक नीति में रेपो दर को 25 अंक तक घटाने का फैसला किया गया है।'

आरबीआई ने बुधवार को वाणिज्यिक बैंकों के रेपो या अल्पकालिक ऋण दर को 6.25 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया है।

आरबीआई के उपगर्वनर विरल आचार्य ने केंद्रीय बैंक की मौद्रिक समीक्षा नीति जारी करने के बाद कहा, 'प्रचलन में जितनी मुद्रा है, उससे पता लगता है कि अब यह सामान्य स्तर तक पहुंच चुका है। हम सरकार के साथ लगातार संपर्क में हैं ताकि इस काम को पूरा कर सकें।'

एसबीआई की कुछ दिन पहले जारी इकोरैप रिपोर्ट में कहा गया, '7 जुलाई तक नोटबंदी के पहले जितनी मुद्रा प्रचलन में थी, उसका 84 फीसदी वापस बाजार में पहुंच चुका है।'

पिछले साल 8 नवंबर तक 500 और 1000 रुपये के कुल 15.44 करोड़ मुद्रा प्रचलन में थी।

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आचार्य ने कहा कि रिजर्व बैंक प्रणाली में मुद्रा के प्रचलन के स्थिर स्तर तक पहुंचने की बारीकी से निगरानी कर रहा है।

डीईए के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा, 'हमने मुद्रास्फीति और विकास के दृष्टिकोण के मूल्यांकन को लेकर एमपीसी (मौद्रिक समीक्षा समिति) के बयान पर ध्यान दिया है और हम रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती का स्वागत करते हैं, जो विकास के लिए जरूरी है।'

गर्वनर ने यहां मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद संवाददाताओं को बताया कि मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी के जोखिम के साथ एमपीसी (मौद्रिक नीति समिति) ने अपना तटस्थ रूख कायम रखा है।

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देश में जून में खुदरा महंगाई दर रिकार्ड गिरावट के साथ 1.54 फीसदी पर बरकरार है, जबकि औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों से पता चलता है कि फैक्टरी उत्पादन गिरकर 1.7 फीसदी पर आ चुका है, जो पिछले साल के समान माह में 8 फीसदी था।

आरबीआई द्वारा रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती को आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) ने ज़रूरी बताया है और कहा है कि यह देश की विकास दर को बरकरार रखने के लिए अनिवार्य था।

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