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क्‍यों पाकिस्‍तान (Pakistan) के पीएम इमरान खान (PM Imran Khan) के लिए आज की रात है 'कत्‍ल की रात'?

12 अक्‍टूबर 1978 को जनरल जियाउल हक (General Jia Ul Haq) ने जुल्‍फिकार अली भुट्टो (Julfikar Ali Bhutto) का तख्तापलट कर दिया था. ठीक 20 साल पहले जनरल परवेज मुशर्रफ (General Parvej Musharraf) ने पाकिस्‍तान में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (Nawaj Sharif) की सरकार का तख्‍तापलट कर खुद सत्‍ता पर कब्‍जा कर लिया था.

Updated on: 12 Oct 2019, 04:41 PM

नई दिल्‍ली:

पाकिस्‍तान के लिए 12 अक्‍टूबर का दिन काला दिन के बराबर माना जाता है. यह भी कहा जाता है कि इस दिन हर 20 साल पर उथलपुथल होती रहती है. 12 अक्‍टूबर 1978 को जनरल जियाउल हक ने जुल्‍फिकार अली भुट्टो का तख्तापलट कर दिया था. ठीक 20 साल पहले जनरल परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्‍तान में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार का तख्‍तापलट कर खुद सत्‍ता पर कब्‍जा कर लिया था. और अब संकेत हैं कि 20 साल बाद जनरल कमर जावेद बाजवा कहीं इमरान खान की सरकार को पलट न दें.

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12 अक्टूबर 1999 को पकिस्तान में तख्तापलट करने में सेना को सिर्फ 17 घंटे लगे थे. 17 घंटे में पाकिस्तान की सत्ता पर सेना का क़ब्ज़ा हो गया. परवेज़ मुशर्रफ और उनके पूरे मंत्रिमंडल को गिरफ्तार कर लिया गया. उस समय परवेज़ मुशर्रफ श्रीलंका में थे. उन्हें खबर लगी कि प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ आईएसआई चीफ (ISI Chief) जनरल ज़ियाउद्दीन के साथ सीक्रेट मीटिंग कर रहे हैं. परवेज़ मुशर्रफ को आर्मी चीफ के पद से हटाकर नवाज़ शरीफ तत्कालीन आईएसआई चीफ जनरल ज़ियाउद्दीन को आर्मी चीफ बनाना चाहते थे. आईएसआई चीफ जनरल ज़ियाउद्दीन भी इसी कोशिश में थे.

इसकी खबर लगते ही परवेज़ मुशर्रफ ने कोलम्बो से पीआईए की फ्लाइट पकड़ी और कराची एयरपोर्ट की तरफ रवाना हो गए. इधर, इस्लामाबाद में मुशर्रफ के वफादार सैनिक रावलपिंडी की तरफ कूच कर रहे थे. नवाज़ ने 12 अक्टूबर की दोपहर को ही आईएसआई चीफ जनरल ज़ियाउद्दीन को नया आर्मी चीफ नियुक्त कर दिया, लेकिन सेना के ज़्यादातर सीनियर अफसरों ने जनरल ज़ियाउद्दीन का कमांड मानने से इंकार कर दिया.

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नवाज़ शरीफ और जनरल ज़ियाउद्दीन ने परवेज़ मुशर्रफ को कराची एयरपोर्ट पर लैंड करने से रोकने की कोशिश शुरू कर दी. एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल ने मुशर्रफ़ के हवाई जहाज को उतरने की इजाज़त देने से मना कर दिया. इससे पहले विमान को ओमान और फिर भारत डायवर्ट किया गया. शाम 4 बजे पीएमओ से मुशर्रफ के रिटायरमेंट का एलान कर दिया गया. इसके साथ ही सेना खुलकर मुशर्रफ के साथ आ गई. सेना की 111 ब्रिगेड की 10 वीं कॉर्प्स ने इस्लामाबाद की तरफ कूच करना शुरू कर दिया.

सेना ने पीटीवी पर क़ब्ज़ा कर लिया और उसके सिग्नल को ब्लॉक कर दिया. नवाज़ शरीफ के घर पर लगे सुरक्षाकर्मियों से हथियार छीन लिए गए. सेना घर में घुस गई. सेना ने नवाज़ से इस्तीफा देने और मुशर्रफ का इस्तीफा वापस लेने को कहा, लेकिन नवाज़ ने सेना की दोनों शर्तों को मानने से इंकार कर दिया. इसके बाद सेना नवाज़ को गिरफ्तार कर एयरपोर्ट के पास बने एक गेस्ट हॉउस में ले गई.

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मुशर्रफ का प्लेन हवा में था. प्लेन के पायलट ने शाम 6:30 बजे कराची एयरपोर्ट पर लैंडिंग की इजाज़त मांगी. एयर ट्रैफिक कंट्रोल उनके प्लेन को लैंड करने की इजाज़त नहीं दे रही थी. प्लेन में मुशर्रफ समेत 200 पैसेंजर सवार थे. प्लेन का ईंधन ख़त्म हो रहा था. प्लेन को सिंध प्रांत के नवाब शाह की तरफ मोड़ने को कहा गया. नवाज़, मुशर्रफ को लैंड करते ही गिरफ्तार कर लेना चाहते थे. इसके लिए नवाज़ ने अपना चार्टर्ड प्लेन और सुरक्षाकर्मी भी तैनात कर दिया था, जिन्हें मुशर्रफ को गिरफ्तार कर प्लेन के अंदर बिठाना था.

मुशर्रफ को अंदाजा लग चुका था कि नवाज़ उनके साथ क्या करने वाले हैं. मुशर्रफ के प्लेन को लैंड करने की इजाज़त नहीं मिल रही थी. मुशर्रफ ने पायलट से एयर ट्रैफिक कंट्रोल का आदेश नहीं मानने को कहा और कहा कि वो कराची एयरपोर्ट पर ही चक्कर लगाते रहे.

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बाद में मुशर्रफ़ के वफ़ादार सैनिकों ने कराची हवाईअड्डे को कब्जे में ले लिया तब जाकर उनका विमान हवाई पट्टी पर उतरा. इसमें 200 लोग सवार थे और तेल लगभग ख़त्म हो चुका था. इसके घंटों बाद ही उन्होंने तख़्तापलट की घोषणा कर दी. मुशर्रफ ने खुद भी एयर ट्रैफिक कंट्रोलर से बात की और लैंड करवाने को कहा.

एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने मुशर्रफ का आदेश मानने से मना कर दिया. मुशर्रफ समेत पीआईए में सवार 200 लोगों की जान खतरे में थी. प्लेन का ईंधन खत्म हो रहा था. सिर्फ 7 मिनट तक ही प्लेन हवा में रह सकता था, लेकिन तब तक आर्मी ने कराची एयरपोर्ट को क़ब्ज़े में ले लिया और तब जाकर मुशर्रफ के प्लेन को लैंड करवाया जा सका. मुशर्रफ को एयरपोर्ट से सुरक्षित बाहर निकाला गया. सेना के अफसरों तक ये सन्देश पहुंचाया गया कि पाकिस्तान पर सेना का क़ब्ज़ा हो गया है.

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सेना टीवी-रेडियो स्टेशन पर क़ब्ज़ा कर चुकी थी. सभी एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग सेना के क़ब्ज़े में थी. पूरी कैबिनेट सेना के क़ब्ज़े में थी. रात 10:22 बजे ब्लाक किये गए टीवी सिग्नल दोबारा खोले गए और कुछ पल बाद ही पूरे पाकिस्तान को खबर लग गई कि पकिस्तान में तख्तापलट हो चुका है. नवाज़ शरीफ बर्खास्त किये जा चुके हैं. रात के 2:50 बजे पाकिस्तान के टीवी चैनल पर मुशर्रफ का रिकार्डेड मैसेज ऑन एयर किया गया.

नवाज शरीफ को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें अपहरण, हत्या के प्रयास, विमान अपहरण, आतंकवाद और भ्रष्टाचार करने का दोषी ठहराया गया. सेना की अदालत द्वारा उनकी उम्रकैद को फांसी में बदले जाने की अफवाहों के बीच अमेरिका और सऊदी सरकारों ने हस्तक्षेप किया और शरीफ को कड़े वित्तीय जुर्माने और 20 साल तक राजनीति में भाग न लेने की शपथ ग्रहण करने के बाद निर्वासित होने की अनुमति मिल गई.

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क्यों हुआ था पाकिस्तान में तख्तापलट

तख्तापलट की नींव भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नवाज़ शरीफ के बीच चल रही शान्ति वार्ता के दौरान ही पड़ गई थी. फरवरी 1997 में शरीफ दूसरी बार प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए. साल खत्म होने से पहले ही उन्होंने सेना प्रमुख (सीओएएस) जनरल जहांगीर करामात के कार्यकाल की अवधि घटाते हुए उन्हें हटा दिया और जनरल परवेज मुशर्रफ को सेना प्रमुख बना दिया. 1998 के परमाणु परीक्षणों से उनकी लोकप्रियता बढ़ी. इससे उत्साहित होकर प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ओर से की जा रही शांति पहल के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की, जो सेना के साथ उनके मतभेदों का कारण बनी.

फरवरी 1999 में की गई लाहौर शांति पहल को करगिल युद्ध से नाकाम कर दिया गया. अमेरिका के दबाव और चीन की सलाह पर पाकिस्तान की सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा. तब तक जनरल मुशर्रफ और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के रिश्ते बुरी तरह बिगड़ चुके थे. शरीफ को इसका अहसास हो गया था और जनरल परवेज मुशर्रफ को बदलने का विफल प्रयास अक्टूबर 1999 के तख्तापलट के साथ उनकी बर्खास्तगी का कारण बना.