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कंगाल पाकिस्तान की 'मनहूसियत' का साया United Nations पर भी पड़ा, आई नई मुसीबत

नगदी की भारी कमी से जूझ रहे संयुक्त राष्ट्र ने खर्च बचाने (Cash Crunch) के लिए अब शनिवार और रविवार (Weekends) को अपना मुख्यालय बंद करने का फैसला किया है.

Updated on: 19 Oct 2019, 03:34 PM

highlights

  • नगदी संकट से जूझ रहा संयुक्त राष्ट्र दो दिन बंद ऱखेगा अपना मुख्यालय.
  • इसके पहले खर्च बचाने के लिए हीटर और एसी बंद रखने का कर चुका है फैसला.
  • भारत समेत सिर्फ 35 देशों में तय समय-सीमा के भीतर किया अपना योगदान.

नई दिल्ली:

कंगाल पाकिस्तान (Kangal Pakistan) एक ऐसे बदनुमा धब्बे की तरह हो गया है जो जहां भी जाता है अपने निशान छोड़ आता है. वजीर-ए-आजम इमरान खान (Imran Khan) कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाने के मसले पर रोना रोने संयुक्त राष्ट्र (United Nations) पहुंचे तो वहां भी अपनी 'मनहूसियत' की छाप छोड़ आए. जिस तरह से फिलवक्त पाकिस्तान को अपने नियमित खर्चे चलाने के लिए हाथ फैलाना पड़ रहा है, अब उसी स्थिति को संयुक्त राष्ट्र प्राप्त हो गया है. नगदी की भारी कमी से जूझ रहे संयुक्त राष्ट्र ने खर्च बचाने (Cash Crunch) के लिए अब शनिवार और रविवार (Weekends) को अपना मुख्यालय बंद करने का फैसला किया है. इसके पहले संयुक्त राष्ट्र ने आर्थिक संकट के चलते मुख्यालय के हीटर और एसी बंद करने का फैसला किया था.

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अब शनिवार-रविवार बंद रहेगा यूएन मुख्यालय
शनिवार-रविवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय बंद रखने के निर्णय की जानकारी देते ट्वीट में संस्था ने बकाया राशि नहीं देने वाले सदस्य देशों से एक प्रश्न भी पूछा है, क्या आपके देश ने संयुक्त राष्ट्र के सालाना नियमित बजट में अपना योगदान किया है? इसके साथ ही बीते दिनों संयुक्त राष्ट्र ने एक दस्तावेज जारी करते हुए बताया था कि 131 सदस्य देशों ने अपने-अपने हिस्से का शतप्रतिशत योगदान समय पर कर दिया था. इनमें से भी सिर्फ 34 सदस्य देशों ने संयुक्त राष्ट्र के सालाना बजट का अपना योगदान संयुक्त राष्ट्र की वित्तीय नियमावली के अनुसार तय समय सीमा यानी 30 दिनों के भीतर ही जमा कर दिया था.

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भारत ने समय पर किया अपने हिस्से का भुगतान
इस कड़ी में 11 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैय्यद अकबरुद्दीन ने बयान जारी करते हुए कहा था कि भारत उन 35 सदस्य देशों में शामिल है, जिसने समय पर संयुक्त राष्ट्र को अपना योगदान दे दिया था. भारत के अलावा कनाडा, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, भूटान, फिनलैंड और नॉर्वे ही उन देशों में शामिल हैं, जिन्होंने समय पर अपना भुगतान किया. संयुक्त राष्ट्र के कुल 193 सदस्य हैं. संस्था का ऑपरेशनल बजट 5.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिनकी मदद से शांति बहाली समेत कई कार्यक्रम दुनिया के विभिन्न देशों में चलाए जाते हैं. इस साल भारत ने 2,32,53,808 रुपए का अपना योगदान संयुक्त राष्ट्र में दिया है. यहां यह कतई नहीं भूलना नहीं चाहिए कि युद्ध की विभीषिका झेल रहा सीरिया सरीखा देश भी तय समय सीमा यानी 30 दिनों में अपना योगदान करने में सफल रहा था.

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अगले महीने के वेतन के लिए नहीं है पैसा
संयुक्त राष्ट्र बीते दशकों के सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. उसके पास नियमित कामों के लिए भी नगदी का संकट है. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो ग्यूटरेस कह चके हैं कि संस्था के पास अगले महीने जारी होने वाले वेतन तक के पैसे नहीं हैं. संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन उजारिक ने एक बयान में बताया था कि उन्होंने सदस्य देशों को इस स्थिति से अवगत कराता पत्र भेजा है. इस पत्र में आर्थिक तंगहाली का परिचय देते हुए कहा है कि संयुक्त राष्ट्र के पास सिर्फ इस माह के अंत तक के लिए नगदी उलब्ध है, जिससे जरूरी काम किए जा रहे हैं.

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अमेरिका देता है 10 बिलियन डॉलर सालाना
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र का खर्च उसके सदस्य देशों द्वारा दिए जाने वाले फंड से चलता है. संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यों में सभी एक तय रकम यूएन को देते हैं. इनमें सबसे ज्यादा फंड अमेरिका देता है, जो कि करीब 10 बिलियन डॉलर सालाना है. इसके बाद इंग्लैंड और जापान अपना हिस्सा देते हैं. फंड देने वाले देशों की सूची में भारत टॉप-20 में शामिल नहीं है. हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसमें कटौती की बात करते रहे हैं. साल 2016 में सिर्फ मानवीय सहायता में यूएन ने 16.4 डॉलर खर्च किए थे.