सूर्य के ध्रुवों को पहली बार देखने के लिए ‘सोलर ऑर्बिटर’ रवाना हुआ
नासा की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक 1.5 अरब डॉलर लागत से तैयार इस अंतरिक्ष यान को यूनाइटेड लांच अलायंस एटलस पांच रॉकेट के जरिये अंतरिक्ष में भेजा गया.
वाशिंगटन:
मानवता को पहली बार सूर्य के ध्रुवों की तस्वीर दिखाने के लक्ष्य के साथ यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का ‘‘सोलर ऑर्बिटर’’ सोमवार को अंतरिक्ष में रवाना हुआ. नासा की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक 1.5 अरब डॉलर लागत से तैयार इस अंतरिक्ष यान को यूनाइटेड लांच अलायंस एटलस पांच रॉकेट के जरिये अंतरिक्ष में भेजा गया. यान का प्रक्षेपण अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित केप कैनवेरल वायुसेना केंद्र स्थित प्रक्षेपण परिसर-41 से छोड़ा गया. अमेरिकी एजेंसी ने बताया कि जर्मनी स्थित यूरोपियन अंतरिक्ष परिचालन केंद्र के मिशन नियंत्रक को सोमवार तड़के यान से संकेत मिले जिससे पता चला कि यान में लगे सौर पैनल सही स्थति में हैं.
नासा के मुताबिक प्रक्षेपण के बाद शुरुआती दो दिन सोलर ऑर्बिटर पृथ्वी से संपर्क साधने और सूचनाएं देने के लिए अपने उपकरणों एवं एंटिना को खोलेगा. उन्होंने बताया कि सोलर ऑर्बिटर की विशेष स्थिति की वजह से मानव पहली बार सूर्य के ध्रुवों की तस्वीर देख सकेगा. नासा ने बताया कि अपनी यात्रा में यान 22 बार सूर्य के करीब जाएगा और बुध ग्रह की कक्षा में जाकर सूर्य और अंतरिक्ष में उसके प्रभाव का अध्ययन करेगा. ईएसए में विज्ञान के निदेशक गनथर हसिंगर ने कहा, ‘‘मानव के तौर पर हम धरती पर जीवन के लिए सूर्य के महत्व को जानते हैं. उसे देखते हैं और उसके काम करने के तरीके का अध्ययन करते हैं, हम लंबे समय से जानते हैं कि सूर्य से उठने वाले सौर तूफान में दैनिक जीवन को प्रभावित करने की क्षमता है.
उन्होंने कहा, ‘‘इस सोलर ऑर्बिटर मिशन के अंत में हम उन छिपी हुई ताकतों को जानने में सक्षम होंगे जो सूर्य के व्यवहार को बदलते हैं और जिसने हमारी धरती को पहले प्रभावित किया था.’’ नासा ने बताया कि सोलर ऑर्बिटर तीन महीने तक जांच की प्रक्रिया में रहेगा और उसमें लगे 10 वैज्ञानिक उपकरणों की जांच कर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वे ठीक से काम कर रहे हैं. अमेरिकी एजेंसी ने बताया कि सोलर ऑर्बिटर को अपनी प्राथमिक कक्षा में जाने में दो साल का समय लगेगा. सोलर ऑर्बिटर से दो तरह के अध्ययन किया जाएगा. पहला, सिटू उपकरण से अंतरिक्ष यान के चारों ओर मौजूदा वातावरण जैसे चुंबकीय क्षेत्र, वहां से गुजरने वाले कण और तरंगों का अध्ययन करेगा. वहीं दूसरी, दूर संवेदी उपकरण से सूर्य की तस्वीर उतारी जाएगी.
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