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अब कबूतरों को भी पसंद नहीं आ रहा पाकिस्तान, जानें क्यों कर रहे भारत का रुख

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भारतीय सीमा के पास के कबूतरबाज अपने कीमती और दुर्लभ प्रजातियों के कबूतरों की 'बेवफाई' से काफी परेशान हैं.

Updated on: 08 Dec 2019, 08:09 PM

नई दिल्‍ली:

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भारतीय सीमा के पास के कबूतरबाज अपने कीमती और दुर्लभ प्रजातियों के कबूतरों की 'बेवफाई' से काफी परेशान हैं. उनके इन कबूतरों में से कई तेज हवा के साथ उड़ते हुए भारत चले जाते हैं और फिर या तो उन्हें भारत पसंद आ जाता है या फिर वे रास्ता भूल जाते हैं और लौटकर पाकिस्तान नहीं आते. इससे इन पाकिस्तानी कबूतरबाजों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इंसानों की बनाई सरहद को यह परिंदे नहीं मानते और नतीजा यह होता है कि कुछ मामलों में लाख रुपये तक की कीमत के कबूतर को उसे पालने वाला खो बैठता है.

'एक्सप्रेस न्यूज' की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सीमा के पास के इलाकों वाघा, भानुचक, नरोड, लवानवाला व कई अन्य जगहों में कई ऐसे लोग हैं, जिन्हें कबूतर पालने का और कबूतरबाजी का शौक है. अपने इस शौक को पूरा करने के लिए यह लोग बहुत कीमती कबूतर भी पालते हैं. इनमें ऐसे कबूतर भी होते हैं जिनकी कीमत एक लाख रुपये या इससे भी अधिक होती है.

कई दफा ऐसा होता है कि यह अपनी छतों से अपने जिन कबूतरों को उड़ाते हैं, वे सरहद पार कर भारत चले जाते हैं. कई तो वापस लौटकर अपनी छत पर आ जाते हैं, लेकिन कई ऐसे भी हैं जो नहीं लौटते. रेहान नाम के कबूतरबाज ने कहा, "मेरे पास सैकड़ों कबूतर हैं जिनमें से कई की कीमत एक-एक लाख रुपये तक है. मैं इन्हें अपने बच्चों की तरह पालता हूं. उस वक्त बहुत दुख होता है जब मेरे कबूतर थोड़ी ही दूरी पर मेरे सामने ही सीमा पार कर जाते हैं और फिर नहीं लौटते. कई दफा हवा बहुत तेज होती है जिससे कबूतर भारतीय सीमा में दूर तक चले जाते हैं."

पाकिस्तानी कबूतरबाजों ने यह भी बताया कि कई बार भारत के कबूतर भी उनकी छतों पर आकर बैठ जाते हैं और फिर यहीं टिक जाते हैं. वे उन्हें वापस भारत भेजने के लिए उड़ाते हैं, लेकिन कई फिर लौटकर उनकी छतों पर आकर बैठ जाते हैं. उनका कोई मालिक नहीं होने के कारण वे उन्हें रख लेते हैं.

कबूतरों को पालने के शौकीन मोहम्मद इरफान ने कहा कि आम कबूतर चला जाए तो दुख नहीं होता लेकिन बहुत महंगे कबूतर जब नहीं लौटते, तब दुख होता है. इन महंगे कबूतरों के परों में मुहर लगाई जाती है, इनके पैरों में खास निशान वाले छल्ले पहनाए जाते हैं, ताकि पहचान हो सके. लेकिन, जब यह दूसरे मुल्क चले जाते हैं तो कम ही वापस लौटते हैं.

'एक्सप्रेस न्यूज' की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान से जाने वाले इन कबूतरों को कई बार भारत में जासूस समझ लिया जाता है. पाकिस्तानी कबूतरबाज पहचान के लिए अपने कबूतरों के परों में उर्दू में लिखी मुहरें लगाते हैं. इसे ही भारत में कोई खुफिया संदेश समझ लिया जाता है.