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इमरान खान के लिए भस्मासुर साबित होगा पाकिस्तान का तालिबान, कश्मीर को भी खतरा

आईईडी विस्फोट और अन्य तरीकों से आतंक फैलाने वाला यह आतंकी संगठन इलाके की औरतों और बच्चों के लिए खासा दहशत भरा नाम है. इस आतंकी संगठन को 2014 में पाकिस्तान सरकार के ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब में खात्मे की बात कही गई थी.

Updated on: 10 Oct 2019, 04:43 PM

highlights

  • पाकिस्तान के फाटा में फिर सिर उठा रहा है तहरीक-ए-तालिबान आतंकी संगठन.
  • बीते दिनों कई बड़े शहरों से टीटीपी के सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद चुनौती बढ़ी.
  • शरीय कानून लागू करने वाले इस आतंकी संगठन को है अफगान तालिबान का साथ.

नई दिल्ली:

पाकिस्तान के फाटा (फेडरली एडमिनिस्टर्ड ट्राइबल एरियाज) में वजीर-ए-आजम इमरान खान के लिए तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) के रूप में एक और चुनौती खड़ी हो रही है. आईईडी विस्फोट और अन्य तरीकों से आतंक फैलाने वाला यह आतंकी संगठन इलाके की औरतों और बच्चों के लिए खासा दहशत भरा नाम है. इस आतंकी संगठन को 2014 में पाकिस्तान सरकार के ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब में खात्मे की बात कही गई थी. हालांकि हालिया घटनाओं में यह आतंकी संगठन फिर से सिर उठाता नजर आ रहा है.

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शरीय कानूनों के पालन पर जोर
इस बात की पुष्टि कुंवर खुलदुने शाहिद भी करते हैं. शाहिद ने फैसलाबाद, गुजरांवाला समेत अनेक बड़ी आबादी वाले शहरों से टीटीपी सदस्यों की गिरफ्तारी को आधार बनाते हुए इस खतरे के प्रति आगाह किया है. शाहिद के मुताबिक हाल के दिनों में टीटीपी ने न सिर्फ जनजातीय इलाकों में स्थित चेक पोस्टों पर आईईडी धमाके किए, बल्कि अगस्त के महीने में तो मिरानशाह के बाशिंदों को गीत-संगीत सुनने समेत अन्य बातों का नहीं मानने पर अंजाम भुगतने की गंभीर चेतावनी जारी की थी. टीटीपी की धमकी में साफ कहा गया था कि गीत-संगीत के अलावा महिलाओं को परिवार के किसी पुरुष सदस्य के बगैर घर से बाहर कदम रखने समेत बच्चों में पोलियो का टीका लगाने का भी विरोध करते हुए धमकी दी गई थी.

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पोलियो के टीकाकरण पर परिणाम भुगतने की चेतावनी
धमकी में कहा गया था, 'इसके पहले भी तालिबान की चेतावनियों को अनसुना कर दिया गया, लेकिन इस बार उन सभी को सबक सिखाया जाएगा जो तालिबान के फरमान को नहीं मानेगा या उसका विरोध करेगा.' इस फरमान के तहत घर के भीतर या बाहर डीजे को प्रतिबंधित कर दिया गया और इसकी अवहेलना करने वालों को परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गई थी. टीटीपी आतंकी संगठन ने इसके साथ ही बच्चों को पोलिया ड्रॉप पिलाने वाली स्वास्थ्य विभाग की टीम को भी चेतावनी दी थी. पाकिस्तान के लिए स्वास्थ्य के मोर्चे पर यह एक और बुरी खबर थी, क्योंकि पाकिस्तान में तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद पोलियो के तमाम मामले फिर से सामने आए थे.

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इस्लामाबाद में किए स्थानीय चुनाव प्रभावित
आलोचना के केंद्र में रहे पाकिस्तान सेना के टीटीपी के खिलाफ बड़े अभियान के बाद टीटीपी का सिर उठाना गंभीर खतरे की ओर संकेत करता है. पाकिस्तानी सेना के इस अभियान का सबसे मुखर विरोध पश्तून तहफ्फुज मूवमेंट (पीटीएम) ने किया था. उसने न सिर्फ इस अभियान की कमियों की ओर इशारा किया था, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए गंभीर उत्पीड़न का सबब बने मसलों को भी उठाया था. इनमें भी स्थानीय लोगों की अचानक गुमशुदगी और फर्जी मुठभेड़ से जुड़े मामले प्रमुख थे. मंजूर पश्तीन के नेतृत्व में पीटीएम ने 20 जुलाई को चुनाव में हिस्सा लिया था और आरोप लगाया था कि इस्लामाबाद की शह पर चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने के प्रयास हो रहे हैं.

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टीटीपी को है पाकिस्तानी सेना का समर्थन
पीटीएम का एक बड़ा आरोप यह है कि पाकिस्तानी सेना और टीटीपी का गठबंधन है. पीटीएम का कहना है कि अफगानिस्तान से जिस दिन से अमेरिकी फौज पूरी तरह से हट जाएंगी, उस दिन टीटीपी की ओर से सबड़े बड़ा नुकसान पाकिस्तान को ही होने वाला है. टीटीपी जनजातीय इलाकों में सिर उठाने के बाद कश्मीर के खिलाफ भी पाकिस्तानी सेना के पर्दे के पीछे से समर्थन और सहयोग पर आतंक फैलाने की शुरुआत कर सकती है. एक वरिष्ठ सैन्य विशेषज्ञ के मुताबिक टीटीपी के उत्थान के पीछे अफगान तालिबान का बड़ा हाथ है. अफगान तालिबान ही पाकिस्तान और अफगानिस्तान के सरहदी इलाकों में अपने प्रभाव को लेकर खासा उत्सुक है.