पाकिस्तान के बड़बोले मंत्री ने भारत के अंतरिक्ष अभियान को ‘गैर-जिम्मेदाराना’ बताया
पाकिस्तान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी (Fawad Chaudhary) ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय संगठनों से कहा कि वे भारत के अंतरिक्ष अभियान को संज्ञान में लें.
इस्लामाबाद:
पाकिस्तान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी (Fawad Chaudhary) ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय संगठनों से कहा कि वे भारत के अंतरिक्ष अभियान को संज्ञान में लें, जिसे उन्होंने “गैर-जिम्मेदाराना” करार दिया. फवाद चौधरी को बड़बोलेपन के लिए जाना जाता है और माना जाता है कि वह प्रधानमंत्री इमरान खान (PM Imran Khan) के खास हैं.
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चौधरी ने ट्वीट किया, “भारत अंतरिक्ष मलबे का एक बड़ा स्रोत बनता जा रहा है, भारत का गैर जिम्मेदार अंतरिक्ष मिशन पूरे पारिस्थितिक तंत्र के लिए खतरनाक हैं, अंतरराष्ट्रीय संगठनों को इस पर गंभीरता के साथ ध्यान देने की जरूरत है.” फवाद चौधरी का ट्वीट नासा द्वारा ये बताने के कुछ घंटों बाद आया कि चंद्रमा की परिक्रमा करने वाले उसके अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का मलबा मिला है। करीब तीन महीने पहले भारत ने चंद्रमा की सतह पर इस लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश की थी.
बता दें कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (National Aeronautics and Space Administration) ने चंद्रयान-2 मिशन के विक्रम लैंडर को खोज निकाला है. नासा ने तस्वीर जारी करके इस बारे में जानकारी दी. हालांकि, नासा ने जो तस्वीर जारी की है उसके मुताबिक विक्रम लैंडर का मलबा मिला है. यानी क्रैश लैंडिंग होने के बाद विक्रम लैंडर पूरी तरह टूट गया.
चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के विक्रम लैंडर (Vikram Lander) की तस्वीरें नासा के LRO (Lunar Reconnaissance Orbiter) सैटेलाइट ने ली है. इस तस्वीर के मुताबिक 6 सितंबर को क्रैश हुआ विक्रम लैंडर कई हिस्सों में टूट गया. विक्रम लैंडर का मलबा भी कई दर्जन हिस्सों में बंट गया. इस क्रैश लैंडिंग के असर का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि विक्रम लैंडर के टुकड़े कई किलोमीटर तक फैल गए. इसके साथ ही चांद की मिट्टी भी कई किलोमीटर दूर तक उछल गई. एक बयान में, नासा ने कहा कि उसने 26 सितंबर को साइट की एक मोज़ेक छवि जारी की थी. जनता को लैंडर के संकेतों की खोज करने के लिए आमंत्रित किया.
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नासा ने बताया कि इसके बाद शनमुगा सुब्रमण्यन नाम के एक व्यक्ति ने मलबे की एक सकारात्मक पहचान के साथ LRO परियोजना से संपर्क किया. मुख्य दुर्घटनास्थल से लगभग 750 मीटर उत्तर पश्चिम में पहला टुकड़ा मिला. आपको बता दें कि सितंबर में चंद्रयान-2 मिशन में लैंडिंग के दौरान विक्रम लैंडर से भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो का संपर्क टूट गया था. जिसके बाद विक्रम लैंडर की क्रैश लैंडिंग हो गई थी. हालांकि उसी समय इसरो ने विक्रम लैंडर ढूंढ निकाला था लेकिन उससे दोबारा संपर्क नहीं कर पाया. अगर यह मिशन कामयाब हो जाता तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा ऐसा देश होता जो चांद पर पहुंच जाता.
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