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पाकिस्तान: ईशनिंदा के आरोप में हिंदू डॉक्टर गिरफ्तार, लोगों ने दुकान को जलाया

डॉक्टर की गिरफ्तारी एक स्थानीय मौलवी की शिकायत पर की गई है.

Updated on: 28 May 2019, 08:18 AM

नई दिल्ली:

पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक हिंदू डॉक्टर को ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार कर गया है. डॉक्टर की गिरफ्तारी एक स्थानीय मौलवी की शिकायत पर की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक रमेश कुमार जो पेशे से डॉक्टर जिनको हिरासत में लिया गया है. स्थानीय मस्जिद के प्रमुख मौलवी इशाक नोहरी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी और आरोप लगाया था कि डॉक्टर ने एक पवित्र पुस्तक के पन्नों को फाड़ दिया और उनमें दवाइयां लपेट दीं.

मौलवी की शिकायत पर स्थानीय पुलिस स्टेशन अधिकारी जाहिद हुसैन लेघरी ने बताया कि डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

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डॉ रमेश को तब गिरफ्तार किया जब उनके खिलाफ गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने उनकी दुकान में आग लगा दी और प्रांत के मीरपुरखास जिले के फूलदोन कस्बे में सड़क पर टायर जला कर विरोध प्रदर्शन करने लगे. पुलिस थाने के अधिकारी लेघरी ने बताया कि मामले की अभी जांच की जा रही है और जब तक इलाके में शांति कायम नहीं हो जाती तब तक डॉक्टर को किसी अज्ञात सुरक्षित स्थान पर रखा गया है.

बता दें कि पाकिस्तान के कराची और सिंध प्रांत में अल्पसंख्यक हिन्दुओं की तादाद काफी ज्यादा है. डॉ रमेश पर लगे आरोप को लेकर पाकिस्तान हिंदू परिषद ने समुदाय के सदस्यों को व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण ईशनिंदा कानून के तहत निशाना बनाए का आरोप लगाया है.

सेंटर फॉर सोशल जस्टिस के आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान में 1987 से 2016 के बीच ईशनिंदा कानून के तहत कम से कम 1,472 लोगों पर आरोप लगाए गए हैं. पाकिस्तान में हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है.

आधिकारिक अनुमानों के अनुसार, पाकिस्तान में करीब 75 लाख हिंदू रहते हैं. हालांकि कुछ समुदाय देश में हिन्दुओं की संख्या 90 लाख तक बताते हैं. पाकिस्तान की अधिकांश हिंदू आबादी सिंध प्रांत में बसी हुई है जहां वे मुस्लिमों के साथ संस्कृति, परंपरा और भाषा साझा कर एक साथ रहते हैं.

क्या है ईशनिंदा कानून

पाकिस्तान में जनरल जिया उल हक के शासन काल में ईशनिंदा कानून लाया गया था. इस कानून के तहत धार्मिक सभा में बाधा पैदा करना, कब्रगाह या श्मशान का अतिक्रमण, धार्मिक आस्थाओं का अपमान और पूजा के स्थल या सामग्री को जान बूझकर नुकसान पहुंचाना आता है.

इस कानून में पाकिस्तान के सैन्य शासक जिया उल हक ने साल 1982 में कई नए प्रावधान जोड़े और सेक्शन 295 बी जोड़कर इसे बेहद सख्त बना दिया. 1986 में ईशनिंदा कानून में धारा 295 सी जोड़ी गई जिसमें पैगंबर मोहम्मद के अपमान को अपराध की श्रेणी में रखा गया और ऐसा करने वालों के लिए आजीवन कारावास या फिर सजा-ए-मौत का नियम बनाया गया. हालांकि ईशनिंदा के तहत पाकिस्तान में ज्यादातर मामले अल्पसंख्यकों पर ही दर्ज किए जाते हैं.