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भारत से डरे पाकिस्तान ने UNSC से फिर लगाई गुहार, कहा-सीमा पर तैनात कर रहा मिसाइल

भारत के तेवरों से डरे-सहमे पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को एक और चिट्ठी लिखी है. उन्होंने चिट्ठी में दावा किया है कि भारत ने कश्मीर से लगती सीमा पर विभिन्न प्रकार की मिसाइल तैनात कर रखी हैं.

Updated on: 19 Dec 2019, 06:59 PM

highlights

  • भारत के तेवरों से डरे-सहमे पाकिस्तान ने UNSC को एक और चिट्ठी लिखी है.
  • कहा-दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए पाकिस्तान पर हमला हो सकता है.
  • भारतीय सेना प्रमुख ने कहा था कि सीमा पर स्थिति कभी भी बिगड़ सकती है.

New Delhi:

भारत से लगातार युद्ध की धमकी दे रहे पाकिस्तान को अपनी स्थिति भली-भांति मालूम है. यही वजह है कि भारत के तेवरों से डरे-सहमे पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को एक और चिट्ठी लिखी है. उन्होंने चिट्ठी में दावा किया है कि भारत ने कश्मीर से लगती सीमा पर विभिन्न प्रकार की मिसाइल तैनात कर रखी हैं. इसके साथ ही उन्होंने गुहार लगाई है कि कश्मीर की 'गंभीर स्थिति' से दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए पाकिस्तान पर हमला हो सकता है.

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भारतीय सैन्य प्रमुख ने दिया था बयान
यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल ही में भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि सीमा पर स्थिति कभी भी बिगड़ सकती है और सेना उससे निपटने के लिए तैयार है. ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान भारतीय सैन्य प्रमुख के इस बयान से डर गया है और सुरक्षा परिषद में दुष्प्रचार फैला रहा है. 12 दिसंबर को सुरक्षा परिषद और यूएन महासचिव के नाम अपनी 7वीं चिट्ठी में कुरैशी ने कहा कि भारतीय कार्रवाई से दक्षिण एशिया में पहले से चल रहे तनाव और बढ़ेगा. पाक विदेश कार्यालय की तरफ से बुधवार को जारी बयान के मुताबिक कुरैशी ने अपनी चिट्ठी में दावा किया कि भारत ने विभिन्न रेंज व क्षमता वाले मिसाइल को तैनात किया है.

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पाकिस्तान लगातार लगा रहा गुहार
हाल के महीनों में कुरैशी ने अपनी चिट्ठियों के माध्यम से यूएनएससी और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतेनियो गुतारेस से कश्मीर की स्थिति पर बात की. कुरैशी ने इसके साथ ही यूएनएमओजीआईपी को क्षेत्र में मजबूत करने की अपनी अपील को दोहराया. उधर, भारत ने यह बार-बार कहा है यूनाइनटेड नेशंस मिलिट्री ऑब्जर्वर ग्रुप इन इंडिया एंड पाकिस्तान (यूएनएमओजीआईपी) जिसकी स्थापना 1949 में हुई है, उसने अपनी सार्थकता खो दी है और शिमला समझौते के बाद अप्रासंगिक हो गई है.