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पाकिस्तान और चीन संयुक्त राष्ट्र में लताड़े गए, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में नाकाम

अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा समेत संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान और चीन पर धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न और मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाया है. इसके साथ ही उन्हें अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा के बाबत कड़े शब्दों में आगाह किया गया है.

Updated on: 23 Aug 2019, 09:13 AM

highlights

  • पाकिस्तान और चीन संयुक्त राष्ट्र में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर लताड़े गए.
  • पड़ोसी देशों पर मानवाधिकारों और मूलभूत अधिकारों के हनन का आरोप लगा.
  • अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा समेत संयुक्त राष्ट्र ने पाक-चीन को किया आगाह.

नई दिल्ली.:

जम्मू-कश्मीर मसले पर पाकिस्तान ने भारत को घेरने की हरसंभव कोशिश की. अपने परंपरागत मित्र चीन की मदद से संयुक्त राष्ट्र में मामला उठवाया, तो वजीर-ए-आजम इमरान खान ने मसले को धार्मिक और नस्लीय रंग देने की कोशिश कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की गुहार लगाई. इमरान खान ने तो साफ-साफ कह दिया कि भारत मुसलमानों का 'नरसंहार' कर रहा है. यह अलग बात है कि भारत को घेरने वाले उसके दोनों ही पड़ोसी देश इस बार खुद संयुक्त राष्ट्र में घिर गए हैं. अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा समेत संयुक्त राष्ट्र ने उन पर धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न और मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाया है. इसके साथ ही उन्हें अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा के बाबत कड़े शब्दों में आगाह किया गया है.

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चीन और पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र की कड़ी चेतावनी
पाकिस्तान औऱ चीन पर अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव और उनके मानवाधिकारों के हनन का यह आरोप संयुक्त राष्ट्र में ही लगा है. मौका बना संयुक्त राष्ट्र में धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा मसलों पर आयोजित बैठक. इसमें संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार अध्यक्ष नवीद वॉल्टर ने खासतौर पर पाकिस्तान पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों समेत ईसाई और हिंदुओं की स्थिति काफी दयनीय है. उन्हें समाज में हाशिये पर ढकेल दिया गया है. उनके मानवाधिकारों का दमन कर उत्पीड़न किया जा रहा है. इसके साथ ही चीन पर भी निशाना साधते हुए नवीद ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर उइगर मुसलमानों की धार्मिक आवाज को दबाया जा रहा है.

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पड़ोसी देशों के चेहरे बेनकाब
गौरतलब है कि पाकिस्तान और चीन भारत पर जम्मू-कश्मीर में धार्मिक आधार पर मुसलमानों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते आए हैं. हालिया दिनों में भी जब भारत ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा 370 को हटाया तो दोनों ही पड़ोसी देशों ने मुसलमानों को लेकर भारत को घेरने की कोशिश की. हालांकि संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधि अकबरुद्दीन ने उनके सारे कुतर्कों की धार कुंद कर दी. अब संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान और चीन का चेहरा अल्पसंख्यकों के साथ उनके बर्ताव को लेकर बेनकाब हो गया है.

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अल्पसंख्यकों पर थोपे गैरजरूरी प्रतिबंध
अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के राजदूत सैम ब्राउनबैक ने तो पाकिस्तान की बखिया उधेड़ कर रख दी. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अराष्ट्रवादी तत्व (आतंकवादी पढ़ें) अल्पसंख्यकों पर लगातार जुल्म ढा रहे हैं. रही सही कसर पाकिस्तान के पक्षपाती कानून पूरी कर दे रहे हैं. अल्पसंख्यकों को इन दोनों के ही हाथों लगातार उत्पीड़ित होना पड़ रहा है. इसके साथ ही सैम ब्राउनबैक ने चीन पर भी उइगर मुसलमानों पर थोपे गए गैरजरूरी प्रतिबंधों को लेकर खिंचाई की है. उन्होंने चीन से अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों और मूलभूत अधिकारों का सम्मान करने को कहा है. गौरतलब है कि पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई लड़कियों को जबरन धर्मांतरण का सामना करना पड़ रहा है, तो चीन ने उइगर मुसलमानों पर सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने और महिलाओं के बुर्का पहनने पर रोक लगा रखी है.

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अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में अक्षम
अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की आवाज में आवाज मिलाते हुए ब्रिटेन ने भी पाकिस्तान औऱ चीन को आईना दिखाने का काम किया है. लॉर्ड अहमद ने पाकिस्तान के अहमदिया और ईसाई समुदाय को लेकर खासी चिंता जाहिर की है. इसके साथ ही उन्होंने भी चीन में उइगर मुसलमानों के साथ हो रहे बलप्रयोग और मानवाधिकारों के हनन पर चीन सरकार से समुचित कदम उठाने को कहा है. ब्रिटेन का भी मानना है कि पाकिस्तान और चीन अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने में पूरी तरह से सक्षम साबित नहीं हो सके हैं.