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नेपाल दक्षेस की अध्यक्षता पाकिस्तान को सौंपने के लिए तैयार और उत्सुक: ग्यावली

नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने शुक्रवार को कहा कि 2014 से दक्षेस समूह की अध्यक्षता कर रहा नेपाल यह पद पाकिस्तान को सौंपने के लिये ‘‘तैयार और इच्छुक’’ है.

Updated on: 24 Jan 2020, 04:08 PM

काठमांडू:

नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने शुक्रवार को कहा कि 2014 से दक्षेस समूह की अध्यक्षता कर रहा नेपाल यह पद पाकिस्तान को सौंपने के लिये ‘‘तैयार और इच्छुक’’ है. ग्यावली ने साथ ही उम्मीद जताई कि भारत और पाकिस्तान क्षेत्रीय चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए बातचीत के जरिये अपने मतभेद सुलझा सकते हैं. विदेश मंत्री ने भारत को यह भरोसा भी दिलाया कि नेपाल अपनी धरती का इस्तेमाल किसी पड़ोसी के खिलाफ नहीं होने देगा और नेपाल किसी भी राजनीतिक और कूटनीतिक गतिरोध में हिस्सा नहीं बनेगा.

ग्यावली ने यहां नेपाली विदेश मंत्रालय में ‘सागरमाथा संवाद’ के बारे में भारतीय पत्रकारों के एक समूह से चर्चा के दौरान कहा कि ‘नेपाल दक्षेस की अध्यक्षता पाकिस्तान को सौंपने को तैयार और उत्सुक है.’ उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान अपने मतभेद क्षेत्र में उत्पन्न चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए बातचीत के जरिये सुलझा सकते हैं. गत तीन वर्षों के दौरान भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकवाद के नेटवर्क से क्षेत्र को उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियों का हवाला देते हुए स्वयं को दक्षेस से दूर रखा है. पाकिस्तान भी इस समूह का एक सदस्य है.

ग्यावली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान सहित दक्षेस देशों के सभी नेताओं को आमंत्रित किया गया है और नेपाल को क्षेत्र के सभी नेताओं का स्वागत करने में प्रसन्नता होगी ताकि वे क्षेत्र के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा कर सकें. उन्होंने कहा, ‘‘सभी दक्षेस नेताओं का सागरमाथा में उपस्थित रहना एक शानदार विचार होगा.’’ उन्होंने कहा कि संवाद का नाम विश्व की सबसे ऊंची चोटी सागरमाथा (माउंट एवरेस्ट) के नाम पर रखा गया है जो कि मित्रता का एक प्रतीक भी है। 2014 में पिछला दक्षेस सम्मेलन काठमांडू में आयोजित हुआ था जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए थे। 2016 में दक्षेस सम्मेलन इस्लामाबाद में होना था.

हालांकि, उसी वर्ष 18 सितम्बर को जम्मू कश्मीर के उरी स्थित एक सैन्य शिविर पर आतंकवादी हमले के बाद भारत ने ‘मौजूदा हालात’ के मद्देनजर सम्मेलन में हिस्सा लेने में असमर्थता जताई थी. बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान के इस्लामाबाद में आयोजित सम्मेलन में हिस्सा लेने से इनकार के बाद सम्मेलन रद्द कर दिया गया था. गत वर्ष दिसम्बर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा था कि दक्षेस देशों के बीच व्यापक सहयोग के लिए भारत के प्रयासों को बार बार आतंकवादी कृत्यों और खतरों से चुनौती मिली है.

दिसम्बर में दक्षेस के स्थापना दिवस के मौके पर दक्षेस सचिवालय को लिखे एक पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि क्षेत्र के सभी देशों को आतंकवाद के खतरे और उसे समर्थन देने वाली ताकतों को हराने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयास एक मजबूत दक्षेस बनाने के लिए व्यापक विश्वास उत्पन्न करेंगे. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने 35वें दक्षेस चार्टर डे पर दिये अपने संदेश में उम्मीद जतायी थी कि दक्षेस की सतत प्रगति में आया ठहराव समाप्त होगा.

खान ने कहा कि पाकिस्तान का मानना है कि प्रभावी एवं परिणाम उन्मुखी क्षेत्रीय सहयोग दक्षेस चार्टर में उल्लेखित संप्रभु समानता और पारस्परिक सम्मान के सिद्धांतों का पालन करने से ही हासिल किया जा सकता है. दक्षेस सम्मेलन आमतौर पर द्विवार्षिक आयोजित होता है और इसका आयोजन सदस्य देशों द्वारा वर्णानुक्रम में किया जाता है. सम्मेलन की मेजबानी करने वाला सदस्य देश समूह के अध्यक्ष का पद संभालता है.