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नेपाल कोर्ट ने मांगा भारत का मैप, जानें क्या है वजह

भारत-नेपाल (India-Nepal) के बीच कालेपानी के मुद्दे ने एक बार फिर से तूल पकड़ता नजर आ रहा है.

Updated on: 03 Jan 2020, 01:51 PM

highlights

  • भारत-नेपाल (India-Nepal) के बीच कालेपानी के मुद्दे ने एक बार फिर से तूल पकड़ता नजर आ रहा है.
  • अदालत ने यह आदेश उस याचिका पर दी है जिसमें उससे नेपाल के भू भाग की सुरक्षा के लिए हस्तक्षेप करने को कहा गया है.
  • भारत ने बीते साल नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था. 

काठमांडू:

भारत-नेपाल (India-Nepal) के बीच कालेपानी के मुद्दे ने एक बार फिर से तूल पकड़ता नजर आ रहा है. नेपाल की सर्वोच्च अदालत ने वहां की सरकार से कहा है कि वह 1816 में सुगौली संधि के दौरान भारत को दिए गए देश के मूल नक्शे को 15 दिनों के अंदर उसे उपलब्ध कराए. अदालत ने यह आदेश उस याचिका पर दी है जिसमें उससे नेपाल के भू भाग की सुरक्षा के लिए हस्तक्षेप करने को कहा गया है. न्यायमूर्ति हरि प्रसाद फुयाल ने एक वरिष्ठ अधिवक्ता की ओर से दायर जनहित याचिाक सरकार से नक्शे की मांग की.

अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि वह सरकार को आदेश दे कि वह नेपाली क्षेत्र की सुरक्षा के लिए राजनीतिक व कूटनीतिक प्रयास शुरू करे. इस बीच सीमा विवाद मामले पर नेपाल ने जनवरी मध्य तक भारत के साथ विदेश सचिव स्तर की वार्ता का प्रस्ताव रखा है.

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भारत ने बीते साल नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था. जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद भारत के ने पिछले साल नवंबर में एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था. इस पर नेपाल सरकार ने आपत्ति जताते हुए लिम्पियाधुरा, लिपुलेक और कालापानी क्षेत्रों पर अपना दावा जताया था.

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इसी के साथ ही साथ आदेश ने यह आदेश सोमवार को दिया था. लेकिन इसका खुलासा बुधवार को हुआ. पीठ ने सरकार से कहा कि वह सुगौली संधि के समय का नेपाल का मानचित्र 15 दिनों के भीतर मुहैया कराए. इसके साथ ही लिखित जवाब भई दे.

वहीं 1860 में भारत और नेपाल के बीच हुई सीमा संधि से संबंधित नक्शा भी अदालत में उपलब्ध कराने को कहा गया है. इसी के साथ ही साथ ये भी निर्देश दिया गया है कि अगर इस नक्शे में कोई संशोधन किया गया है तो उसका भी विवरण दें.