logo-image

चीनी मीडिया ने ब्रिक्स को बताया भारत की रणनीतिक जीत

इस लेख में कहा गया है, 'भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण स्थितियों के मद्देनजर बिम्सटेक को जोड़ने के पीछे भारत का अहम रणनीतिक मकसद था।'

Updated on: 19 Oct 2016, 04:08 PM

नई दिल्ली:

चीन की मीडिया ने ब्रिक्स सम्मेलन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत ने ब्रिक्स-ब्रिम्सटेक सम्मेलन के मंच का इस्तेमाल पाकिस्तान को 'अलग-थलग' करने के लिए किया। चीन के सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' ने अपने लेख में कहा है कि भारत ने इस सम्मेलन में पाकिस्तान को 'क्षेत्रीय तौर पर अकेला' देश बनाकर उसे 'दरकिनार' कर दिया है।

चीन मीडिया ने ब्रिक्स सम्मेलन को भारत के लिए रणनीतिक जीत करार दिया है। उनके अनुसार भारत ने ब्रिक्स के मंच का इस्तेमाल खुद को 'एक पाक साफ' देश के तौर पर पेश करने के लिए किया और साथ ही NSG और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भी अपनी दावेदारी मजबूत करने की कोशिश की। 

NSG और सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का चीन लगातार विरोध कर रहा है। हालांकि अमेरिका ने इस बारे में आश्वासन देते हुए कहा है कि इस साल के अंत तक भारत के NSG में शामिल होने की कोशिशों को कामयाबी मिल सकती है। इस लेख में कहा गया है, 'भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण स्थितियों के मद्देनजर बिम्सटेक को जोड़ने के पीछे भारत का अहम रणनीतिक मकसद था।'

सम्मेलन में शामिल होने के लिए भारत द्वारा पाकिस्तान के अलावा बाकी सभी क्षेत्रीय देशों को बुलाने पर इस लेख में कहा गया है, 'ऐसा करके भारत ने दरअसल पाकिस्तान को क्षेत्रीय रूप से अलग छोड़ दिया।'

उरी हमले के बाद भारत ने इस्लामाबाद में आयोजित होने वाले सार्क सम्मेलन में शामिल नहीं होने का फैसला किया था। जिसके बाद नेपाल, बांग्लादेश और भूटान ने भी भारत का समर्थन करते हुए सम्मेलन में शामिल होने से मना कर दिया था। बाद में सम्मेलन ही रद्द कर दिया गया।

इसका जिक्र करते हुए ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, 'सार्क सम्मेलन के रद्द हो जाने के बाद ब्रिक्स और बिम्सटेक सम्मेलन में सदस्य राष्ट्र पाकिस्तान की गैरमौजूदगी में गोवा में जमा हुए। यहां भारत को ऐसा मंच मिला, जहां वह इस्लामाबाद का क्षेत्रीय प्रभाव रोकने की कोशिश कर सकता था।' इस लेख में कहा गया है कि गोवा शिखर सम्मेलन के दौरान बिम्सटेक के द्वारा भारत अपने पक्ष में अहम बदलाव लाने में कामयाब हुआ।

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान अपने भाषण में आतंकवाद का मुद्दा उठाया था और पाकिस्तान को निशाने पर लेते हुए उसे 'आतंकवाद की जन्मभूमि' बताया था। इस सम्मेलन में भारत ने कई बार आतंकवाद का मसला उठाया और द्विपक्षीय वार्ता के स्तर पर भी भारत की ओर से यह मुद्दा बार-बार उठाया गया।

ब्रिक्स सम्मेलन के साझा घोषणापत्र में आतंकवाद के मुद्दे पर सदस्य राष्ट्रों ने एकजुटता तो जताई, लेकिन चीन के विरोध के कारण पाकिस्तान का नाम शामिल नहीं किया जा सका।

उरी सम्मेलन के बाद से भारत लगातार आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में चीन मीडिया के द्वारा ब्रिक्स मंच पर की गई भारत की कोशिशों को सफल बताना भारत के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है।