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UN ने किया खुलासा, भारत प्राकृतिक आपदाओं में तीसरा देश

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने बताया कि भारत 1995 से प्राकृतिक आपदाओं से ग्रसित तीसरा देश है।

Updated on: 19 Sep 2017, 11:01 PM

नई दिल्ली:

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने बताया कि भारत 1995 से प्राकृतिक आपदाओं से ग्रसित तीसरा देश है। उन्होंने विश्व के नेताओं को ऐतिहासिक पेरिस समझौते को अधिक महत्वाकांक्षी योजना को लागू करने की अपील की है।

महासभा में उच्च स्तरीय सभा को संबोधित करते हुए, गुतारेस ने जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के पक्ष में बात की। जिसमें उन्होंने कहा कि हरिकेट और इरमा जैसे तूफान मौसम की घटनाएं को सामान्य कर रहे हैं।

जलवायु परिवर्तन हमारी आशाओं को खतरे में डाल रहा है। पिछले एक दशक में पिछले साल जलवायु सबसे गर्म रहा है। औसतन वैश्विक तापमान में वृद्दि के कारण ग्लेशियर पिघल रहा हैं और पाराफ़्रोस्ट भी कम हो रहा है।

उन्होंने कहा, 'लाखों लोगों और अरबपतियों की संपत्ति जलवायु अवरोधकों की वजह से खतरे में हैं।' वर्ष 1970 के बाद से प्राकृतिक आपदाओं की संख्या में चार गुना वृद्धि हुई है।

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गुतारेस ने कहा कि साल 1995 से चीन और भारत के बाद अमेरिका में सबसे ज्यादा आपदाएं आई है।

उन्होंने कहा 'हमें जलवायु परिवर्तन के साथ किसी भी मौसम संबंधी घटना को लिंक नहीं करना चाहिए। लेकिन वैज्ञानिक के अनुसार ऐसे मौसम ठीक उसी प्रकार के हैं जो उनके मॉडल का अनुमान लगाते हैं जो एक वार्मिंग दुनिया को सामान्य करेगा।'

उन्होंने कहा कि हमारे साथ जो कुछ हो रहा है, उसका वर्णन करने के लिए हमें अपनी भाषा को सुधारना पड़ा है। अगर हम मेगा-तूफान, सुपरस्टॉर्म और बारिश के बमों की बात करें तो यह आत्मघाती उत्सर्जन के रास्ते को बंद करने का समय है।

सरकार ने अब तक की महत्वाकांक्षाओं के साथ ऐतिहासिक पेरिस समझौते को लागू करने की अपील की है।

पेरिस समझौते का मुख्य उद्देश्य पूर्व-औद्योगिक स्तर से ऊपर 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे वैश्विक स्तर पर तापमान में वृद्धि करके और 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए जलवायु परिवर्तन के खतरे से वैश्विक प्रतिक्रिया को मजबूत करना है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जून में पेरिस समझौते से अमेरिका का नाम वापस लेने का फैसला किया था और पूर्व राष्ट्रपति ओबामा के शासन के दौरान 190 से अधिक देशों द्वारा इस समझौते पर बातचीत करने की घोषणा की थी।

यह तर्क देते हुए कि चीन और भारत जैसे देशों को पेरिस समझौते से सबसे ज्यादा फायदा हो रहा है, ट्रम्प ने कहा था कि जलवायु परिवर्तन पर समझौता अमेरिका के लिए अनुचित है।

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