भारत यह सबक तो पाकिस्तान से सीख ही सकता है, बाल उत्पीड़कों को फांसी का प्रस्ताव पारित
पाकिस्तान में बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न एवं हत्या से संबंधित अपराध की बढ़ती घटनाओं के बीच संसद ने शुक्रवार को एक प्रस्ताव पारित किया है. इसके तहत ऐसे अपराध के दोषियों को सरेआम फांसी देने की मांग की गई है.
highlights
- भारत को पाकिस्तान से ही एक सबक सीख लेना चाहिए.
- यौन अपराधियों को सरेआम फांसी देने का प्रस्ताव पारित.
- पीपीपी ने संयुक्त राष्ट्र का हवाला देकर किया विरोध.
इस्लामाबाद:
एक तरफ भारतीय न्यायिक व्यवस्था है जिसकी खामियों का फायदा उठा कर निर्भया के दोषी (Nirbhaya Convicts) अपनी फांसी को टालते आ रहे हैं. ऐसे में कम से कम भारत को पाकिस्तान से ही एक सबक सीख लेना चाहिए. पाकिस्तान में बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न (Child Abusers) एवं हत्या से संबंधित अपराध की बढ़ती घटनाओं के बीच संसद ने शुक्रवार को एक प्रस्ताव पारित किया है. इसके तहत ऐसे अपराध के दोषियों को सरेआम फांसी देने की मांग की गई है. प्रस्ताव में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के नौशेरा इलाके में 2018 में 8 वर्षीय लड़की के यौन उत्पीड़न के बाद उसकी बर्बर हत्या का जिक्र किया गया है. प्रस्ताव को बहुमत से पारित कर दिया गया क्योंकि इसका पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के सांसदों को छोड़कर सभी सांसदों ने समर्थन किया है. पाकिस्तान में हर दिन कम से कम सात बच्चों का यौन उत्पीड़न होता है.
यह भी पढ़ेंः Delhi Election Live Updates : अखिलेश यादव ने सीएम केजरीवाल को दी शुभकामनाएं, बोले- काम बोलता है| मतदान Live
पीपीपी सांसदों ने किया विरोध
पूर्व प्रधानमंत्री एवं पीपीपी नेता रजा परवेज अशरफ ने कहा कि सरेआम फांसी देना संयुक्त राष्ट्र के नियमों का उल्लंघन है और सजा से अपराध को कम नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा, 'सजा की गंभीरता को बढ़ाने से अपराध में कमी नहीं आती है.' संसदीय मामलों के राज्यमंत्री अली मोहम्मद खान ने सदन में यह प्रस्ताव पेश किया जिसमें बाल यौन उत्पीड़न की घटनाओं की कड़ी निंदा की गई है. इसमें कहा गया, 'यह सदन बच्चों की इन शर्मनाक और बर्बर हत्याओं पर रोक की मांग करता है और कातिलों तथा बलात्कारियों को कड़ा संदेश देने के लिए उन्हें न सिर्फ फांसी देकर मौत की सजा देनी चाहिए बल्कि उन्हें तो सरेआम फांसी पर लटकाना चाहिए.'
यह भी पढ़ेंः श्रीलंका और भारत में आतंकवाद एक बड़ी समस्या, मिलकर लड़ेंगे, प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोले पीएम मोदी
शिरीन माजरी ने भी किया विरोध
हालांकि इस प्रस्ताव की दो मंत्रियों विज्ञान मंत्री फवाद चौधरी और मानवाधिकार मंत्री शिरीन माजरी ने निंदा की जो मतदान के दौरान सदन में मौजूद नहीं थे. इसके जवाब में चौधरी ने ट्वीट किया, 'इस प्रस्ताव की कड़ी निंदा करता हूं क्योंकि यह बर्बर सभ्य चलनों, सामाजिक कृत्यों की तर्ज पर एक और भयानक कार्य है. संतुलित रूप में बर्बरता अपराध का जवाब नहीं है... यह अतिवाद की एक और अभिव्यक्ति है.' शिरीन माजरी ने ट्वीट किया, 'सरेआम फांसी को लेकर नेशनल असेंबली में आज पारित प्रस्ताव पार्टी लाइन से हटकर है और यह कोई सरकार प्रायोजित प्रस्ताव नहीं है बल्कि एक व्यक्तिगत कार्रवाई है. हममें से कई लोग इसका विरोध करते हैं.'
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Budh Grah Margi 2024: सावधान!! आज शाम ग्रहों के राजकुमार बदल रहे हैं अपनी चाल, इन राशियों के लिए हैं खतरनाक
-
Maa Lakshmi Puja For Promotion: अटक गया है प्रमोशन? आज से ऐसे शुरू करें मां लक्ष्मी की पूजा
-
Guru Gochar 2024: 1 मई के बाद इन 4 राशियों की चमकेगी किस्मत, पैसों से बृहस्पति देव भर देंगे इनकी झोली
-
Dharma According To Ramayana: रामायण के अनुसार धर्म क्या है? जानें इसकी खासियत