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नागरिकता संशोधन अधिनियम पर भारत को मिला पड़ोसी मालदीव का साथ, पढ़ें पूरी खबर

नागरिकता संशोधन अधिनियम पर मालदीव ने भारत का साथ दिया है. मालदीव का कहना है कि यह भारत का आंतरिक मामला है और हमें भारत पर पूरा भरोसा है.

Updated on: 14 Dec 2019, 08:50 AM

नई दिल्‍ली:

नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act 2019) को लेकर मोदी सरकार (Modi Sarkar) चौतरफा घिरी है. असम (Assam) सहित पूर्वोत्‍तर (North East) में बवाल चल रहा है. बवाल की आग दिल्‍ली भी पहुंच गई है. विपक्षी दल इस बिल को लेकर हमलावर हैं तो जापान (Japan) के पीएम शिंजो (Shinzo Abe) आबे और बांग्‍लादेश के विदेश मंत्री एके अब्‍दुल मोमेन (AK Abdul Momen) ने अपनी नई दिल्‍ली की यात्रा को स्‍थगित कर दिया है. संयुक्‍त राष्‍ट्र (UN) ने भी इस अधिनियम को लेकर चिंता जताई है. अमेरिकी कांग्रेस (American Congress) की धार्मिक मामलों की समिति ने इस बिल पर कड़ी आपत्‍ति जताई है. ऐसे में पड़ोसी देश मालदीव ने भारत का साथ दिया है. मालदीव का कहना है कि यह भारत का आंतरिक मामला है और हमें भारत पर पूरा भरोसा है.

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मालदीव की संसद के स्‍पीकर मोहम्‍मद नशीद ने कहा, यह भारत का आंतरिक मुद्दा है. हमें भारतीय लोकतंत्र पर भरोसा है. यह प्रक्रिया संसद के दोनों सदनों से होकर गुजरी है. वहीं, ज़ाकिर नाइक को शरण देने के मामले में नशीद ने कहा, हमने ज़ाकिर नाइक को पहले अनुमति दी थी क्योंकि तब हमारी जानकारी के अनुसार, उनके साथ कोई समस्या नहीं थी. हमारे पास ऐसे लोगों के साथ कोई समस्या नहीं है, जो इस्लाम का अच्छे से प्रचार करते हैं लेकिन अगर आप नफरत का प्रचार करना चाहते हैं, तो हम इसकी अनुमति नहीं दे सकते.

मोहम्‍मद नशीद ने बताया, पिछले 6-7 वर्षों के दौरान बड़ी मात्रा में चीनी धन परियोजनाओं के रूप में मालदीव में आया है, जिनमें से अधिकांश में कीमतें बढ़ी हैं. हम ऋण का भुगतान करने में असमर्थ हैं.

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मोहम्‍मद नशीद बोले, जब आप ऋण का भुगतान करने में असमर्थ होते हैं, तो वे इक्विटी के लिए पूछते हैं और इक्विटी के साथ हमें कई बार भूमि और संप्रभुता को त्यागना पड़ा है. यह एक गंभीर मामला है. इसके लिए एक पैटर्न है. हम चिंतित हैं और चाहते हैं कि चीनी अधिकारी इस मुद्दे का उचित हल निकालें.