logo-image

अमेरिका-तालिबान में शांति समझौते से पहले विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला अफगान नेताओं से मिले

अमेरिका और तालिबान के बीच ऐतिहासिक शांति समझौता होने से एक दिन पहले विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को काबुल की यात्रा की और शांतिपूर्ण एवं स्थिर अफगानिस्तान के लिए भारत का खुला समर्थन व्यक्त किया.

Updated on: 29 Feb 2020, 07:37 AM

दिल्ली:

अमेरिका और तालिबान के बीच ऐतिहासिक शांति समझौता होने से एक दिन पहले विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को काबुल की यात्रा की और शांतिपूर्ण एवं स्थिर अफगानिस्तान के लिए भारत का खुला समर्थन व्यक्त किया. उन्होंने राष्ट्रपति अशरफ गनी से भेंट की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का पत्र सौंपा. श्रृंगला ने अफगानिस्तान के मुख्य कार्यकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला, निर्वाचित उपराष्ट्रपति अमरूल्ला सालेह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्लाह मोहिब और कार्यकारी विदेश मंत्री हारून चखानसूरी से मुलाकात की तथा उन्हें अफगानिस्तान के सर्वांगीण विकास के प्रति भारत की मजबूत प्रतिबद्धता से अवगत कराया.

यह भी पढ़ें : देशद्रोह का केस दर्ज होने पर कन्हैया कुमार ने केजरीवाल सरकार का किया धन्यवाद, कहा- सत्यमेव जयते

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने अपने ट्वीटों में कहा कि अफगानिस्तान की राष्ट्रीय एकता, क्षेत्रीय अखंडता, लोकतंत्र, बहुलवाद और उसकी समृद्धि एवं बाहरी प्रायोजित आतंकवाद के खात्मे में भारत उसके साथ खड़ा है. गनी के साथ श्रृंगला की बैठक के बारे में कुमार ने कहा कि अफगान राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान में लोकतंत्र एवं संवैधानिक व्यवस्था के प्रति भारत के निरंतर सहयोग की सराहना की. कुमार ने कहा कि विदेश सचिव ने अफगानिस्तान के नेतृत्व के साथ वहां के विकास एवं शांति प्रयासों पर सार्थक चर्चा की.

दोहा में शनिवार को अमेरिका और तालिबान के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर होने हैं जिससे इस देश में तैनाती के करीब 18 साल बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी का रास्ता साफ होगा. अब्दुल्ला के साथ श्रृंगला की बैठक के बाद कुमार ने ट्वीट किया, ‘‘ दोनों इस बात पर राजी थे कि स्वतंत्र, संप्रभु, लोकतांत्रिक, बहुलवादी और समावेशी अफगानिस्तान से इस क्षेत्र में शांति एवं समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा.’’

यह भी पढ़ें :  1992 में खून से लाल हुआ था सीलमपुर, उपद्रवियों को मारने के लिए रात भर दफ्तर में डटा रहा आईपीएस

उन्होंने कहा कि विदेश सचिव ने सतत शांति, सुरक्षा और विकास की अफगानिस्तान के लोगों की कोशिशों में भारत का पूर्ण समर्थन व्यक्त किया. अफगानिस्तान में शांति और सुलह प्रक्रिया का भारत एक अहम पक्षकार है. कतर में भारत के राजदूत पी कुमारन उस समारोह में हिस्सा लेंगे जिसमें अमेरिका और तालिबान शांति समझौते पर दस्तखत करेंगे. यह पहला मौका होगा जब भारत तालिबान से जुड़े किसी मामले में आधिकारिक तौर पर शामिल होगा.

एक महत्वपूर्ण कदम के तहत भारत ने मास्को में नवंबर 2018 में हुई अफगान शांति प्रक्रिया में “गैर आधिकारिक” क्षमता में दो पूर्व राजनयिकों को भेजा था. इस सम्मेलन का आयोजन रूस द्वारा किया गया था जिसमें तालिबान का उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल, अफगानिस्तान, अमेरिका, पाकिस्तान और चीन समेत समेत कई अन्य देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे. शांति समझौते से पहले भारत ने अमेरिका को यह बता दिया है कि वह पाकिस्तान पर उसकी जमीन से चल रहे आतंकी नेटवर्कों को बंद करने के लिये दबाव डालता रहे यद्यपि अफगानिस्तान में शांति के लिये उसका सहयोग महत्वपूर्ण है.