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मलेशिया में फ़ेक न्यूज़ से निपटने के लिए कानून ड्राफ्ट, मीडिया सेंसरशिप का खतरा बढ़ा

मलेशिया ने फेक न्यूज (फर्जी खबरों) को रोकने के लिए नया एंटी-फेक न्यूज कानून ड्राफ्ट किया है जिसके बाद लोगों में मीडिया सेंसरशिप का भय बन गया है।

Updated on: 01 Apr 2018, 12:37 PM

highlights

  • दोषी पाए जाने पर 6 साल की जेल और 1,30,000 डॉलर की सजा देगी सरकार
  • पिछले सप्ताह संसद में सरकार ने एंटी-फेक न्यूज बिल लाया गया
  • विपक्षी पार्टियों ने कहा कि चुनाव से पहले मीडिया सेंसरशिप का भय बनाया जा रहा है

मलेशिया:

मलेशिया ने फेक न्यूज (फर्जी खबरों) को रोकने के लिए नया एंटी-फेक न्यूज कानून ड्राफ्ट किया है जिसके बाद लोगों में मीडिया सेंसरशिप का भय बन गया है।

इस साल अगस्त में होने वाले चुनाव से पहले कई सारे मीडियाकर्मी के द्वारा सवाल किए जाने के बाद पिछले सप्ताह संसद में सरकार ने एंटी-फेक न्यूज बिल लाया।

प्रस्तावित एंटी फेक न्यूज बिल 2018 सरकार को पूरी तरीके से अधिकारिक शक्ति देगा कि वह फेक न्यूज फैलाने या लिखने वाले को दोषी पाए जाने पर 6 साल की जेल और 1,30,000 डॉलर की सजा देगी।

इस बिल के 222 सीटों वाली मलेशियन संसद में बिना किसी रुकावट के पास हो जाने की संभावना है क्योंकि प्रधानमंत्री नजीब रजाक की पार्टी के पास पूरी बहुमत है।

इस नए बिल से इंटरनेशनल मीडिया को भी सामना करना पड़ेगा क्योंकि फेक न्यूज मामलें में यह नहीं देखा जाएगा कि वह मलेशिया का नागरिक है और मलेशिया में है। बल्कि मलेशिया और मलेशिया के नागरिकों के फेक न्यूज से प्रभावित होने पर उस पर कार्रवाई की जाएगी जो कि मलेशिया सरकार को देश से बाहर कार्रवाई का भी अधिकार देगा।

हालांकि कई सासंदों ने सरकार के एंटी-फेक न्यूज बिल का विरोध किया है और कहा है कि आगामी चुनाव में असहमति को दबाने के लिए मलेशिया सरकार द्वारा इस कानून का उपयोग किया जाएगा।

मलेशिया के एक पूर्व मंत्री जैद इब्राहिम ने कहा कि यह कानून नजीब के लिए जरूरी है न कि देश के लिए। उन्हें लोगों को डराने की जरूरत है ताकि उनकी आलोचना पर वे लोगों को जेल भेज सकेंगे।

इसके अलावा मलेशिया बार काउंसिल, विपक्षी पार्टियों के नेता, प्रधानमंत्री के भाई नजीर रजाक ने भी इस प्रस्तावित बिल का विरोध किया है।

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इस एंटी-फेक न्यूज बिल के मुताबिक कोई भी समाचार, सूचना, डेटा और रिपोर्ट अगर पूरी तरीके से या थोड़ी भी गलत होगी और कोई अगर इसे जानबूझकर लिखता, प्रकाशित करता है, फैलाता है तो वह फेक न्यूज माना जाएगा।

बता दें कि 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप के 'फेक न्यूज' शब्द के इस्तेमाल के बाद दक्षिण-पूर्व एशिया में भी इसका चलन बढ़ गया।

मलेशिया के अलावा पड़ोसी देश सिंगापुर भी फेक न्यूज से निपटने के लिए नए कानून को लाने का विचार कर रही है।

गौरतलब है कि भारत में भी हालिया दिनों में फेक न्यूज प्रसारित किए जाने की घटना बढ़ी है। अभी हाल ही में फेक न्यूज फैलाने के आरोप में एक वेब पोर्टल 'पोस्टकार्ड न्यूज' के संपादक को गिरफ्तार किया था।

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