logo-image

कोरोना वायरस प्रभावित वुहान से भारतीयों को बाहर निकालना बुरे सपने जैसा था : विक्रम मिश्री

मिश्री ने बताया कि दूतावास को सबसे पहले हुबेई प्रांत में रहने वाले भारतीयों का पता लगाना था, फिर उनसे संपर्क साधना था, उन्हें 14 दिन तक सबसे अलग रखने को लेकर सहमति लेनी थी

Updated on: 10 Feb 2020, 09:50 PM

नई दिल्‍ली:

चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिश्री ने सोमवार को कहा कि देश में कोरोना वायरस प्रभावित हुबेई प्रांत और उसकी राजधानी वुहान से भारतीय नागरिकों को बाहर निकालने की प्रक्रिया साजो-सामान के लिहाज से किसी बुरे सपने जैसी थी क्योंकि लोगों को ऐसी जगह से बाहर निकालना था जिसे चारों ओर से सील कर दिया गया है. जनवरी के मध्य में वायरस के फैलने की सूचना मिलने के साथ ही भारतीय दूतावास ने हुबेई प्रांत और वुहान में रहने वाले सैकड़ों भारतीय नागरिकों, विशेष रूप से छात्रों को बाहर निकालने की तैयारियां शुरू कर दी थी. मिश्री ने मीडिया को बताया कि साजो-सामान के दृष्टिकोण से पूरी प्रक्रिया किसी बुरे सपने जैसी थी क्योंकि वहां फंसे भारतीयों की जानकारी जुटानी थी, कुछ वहां फंसे हुए थे जबकि कुछ अन्य चीनी नववर्ष की छुट्टियों में घर चले गए थे.

भारत ने इस संबंध में पहला परामर्श 17 जनवरी को जारी किया था. उसके बाद वायरस का प्रकोप बढ़ने के साथ ही देश ने कई कठोर कदम उठाए जैसे कि चीनी नागरिकों या वहां से होकर आने वाले विदेशी नागरिकों का वीजा रद्द करना आदि. मिश्री ने बताया कि दूतावास को सबसे पहले हुबेई प्रांत में रहने वाले भारतीयों का पता लगाना था, फिर उनसे संपर्क साधना था, उन्हें 14 दिन तक सबसे अलग रखने को लेकर सहमति लेनी थी, उसके बाद सबसे मुश्किल काम आता था... चीन की केन्द्रीय, प्रांतीय और स्थानीय सरकार से अनुमति लेना क्योंकि शहर और प्रांत 23 जनवरी से ही पूरी तरह सील कर दिया गया था.

यह भी पढ़ें-Shaheen Bagh Protest: सुप्रीम कोर्ट संविधान के हिसाब से फैसला करेगा, तभी हम मानेंगे- प्रदर्शनकारी

एअर इंडिया का पहला विमान एक फरवरी को आने से पहले दूतावास ने यात्रा प्रतिबंधों और वायरस संक्रमण के डर के बावजूद अपने दो कर्मियों दीपक पद्म कुमार और एम. बाला कृष्णन को चांगशा शहर होते हुए सड़क के रास्ते वुहान भेजा. फिर बड़ी संख्या में बसें किराए पर ली गईं, जहां यात्रा प्रतिबंध था वहां से वाहनों की आवाजाही की परमिट ली गई और फिर उन्हें हवाईअड्डे लाया गया. यह कुछ ज्यादा ही जटिल और मुश्किल था. तमाम स्थानीय परिवहनों के साथ-साथ हवाई अड्डा भी 23 जनवरी से बंद कर दिया गया था.

यह भी पढ़ें-त्रिवेंद्र सिंह रावत का राहुल गांधी पर बड़ा हमला, कहा- नशा करके संसद पहुंचे हैं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष

चालीस जगहों पर फंसे भारतीयों को लाने के लिए बसें चलाने की परमिट का इंतजाम और यह पूरे अभियान को उप राजदूत एकिनो विमल और दूतावास की प्रथम सचिव (राजनीतिक) प्रियंका सोहोनी ने अंजाम दिया. मिश्री ने बताया कि 10 भारतीय फिर भी विमान तक नहीं पहुंच सके क्योंकि उन्हें तेज बुखार होने के कारण चीनी आव्रजन अधिकारियों ने उन्हें देश से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी. एअर इंडिया के दो विमानों से 324 और 323 भारतीयों को हुबेई से बाहर निकाला गया.