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फंदे पर लटकेगा कारगिल युद्ध का गुनहगार, पाकिस्‍तान की कोर्ट ने सुनाई सबसे बड़ी सजा

कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ ने तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल परवेज मुशर्रफ के फोन को टैप कर पूरी दुनिया के सामने पाक की पोल खोल दी थी.

Updated on: 17 Dec 2019, 02:48 PM

नई दिल्‍ली:

फ़रवरी 2013 में परवेज मुशर्रफ ने दावा किया था कि अगर कारगिल संघर्ष के समय नवाज शरीफ अमेरिका नहीं गए होते तो वे भारत के 300 वर्ग मील इलाके पर कब्जा कर लेते. मुशर्रफ ने एक टीवी शो में कहा, उस हार के लिए नवाज शरीफ पूरी तरह से जिम्मेदार हैं. सेना ने जो जीता था वह शरीफ ने राजनीतिक तौर पर हरवा दिया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना को भारतीय सुरक्षा व्यवस्था की खामियां उजागर करने में सफलता मिली. युद्ध के समय आईएसआई की विश्लेषण शाखा के प्रमुख रहे ले. जन. शाहिद अजीज ने कहा था कि कारगिल युद्ध ‘चार लोगों का शो’ था. यह परवेज मुशर्रफ की साजिश थी. नवाज शरीफ को इसकी जानकारी नहीं थी.

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इसी साल फ़रवरी में पाकिस्तान मुस्लिम लीग के नेता और सांसद परवेज राशिद ने कहा कि 1999 में भारत और पाक कश्मीर समस्या का हल निकालने पर एकमत थे. भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाक सरकार के मुखिया नवाज शरीफ के बीच इस मसले पर वार्ता भी चल रही थी, लेकिन परवेज मुशर्रफ ने वार्ता विफल करने के लिए कारगिल में युद्ध छेड़ दिया. तब वह पाक सेना के प्रमुख थे और उन्होंने नवाज शरीफ से इसकी मंजूरी तक नहीं ली थी.

कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ ने तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल परवेज मुशर्रफ के फोन को टैप कर पूरी दुनिया के सामने पाक की पोल खोल दी थी. इससे विश्व की महाशक्तियों को यह पता चला कि कारगिल की ऊंची चोटियों पर मुजाहिदीन के वेश में घुसपैठिये नहीं बल्कि पाक सेना की एलीट फोर्स था.

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इस घटना को याद कर तत्कालीन भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक ने बीबीसी को बताया, ''26 मई 1999 को रात साढ़े नौ बजे मेरे सिक्योर इंटरनल एक्सचेंज फोन की घंटी बजी. दूसरे छोर पर भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के सचिव अरविंद दवे थे. उन्होंने बताया कि उनके लोगों ने पाकिस्तान के दो चोटी के जनरलों के बीच एक बातचीत को रिकार्ड किया है. उन्होंने बताया कि उनमें से एक जनरल चीन की राजधानी बीजिंग से बातचीत में शामिल था. फिर उन्होंने उस बातचीत के अंश पढ़ कर जनरल मलिक को सुनाए और कहा कि इसमें छिपी जानकारी हमारे लिए महत्वपूर्ण हो सकती है.

जनरल मलिक ने उस फोन-कॉल को याद करते हुए कहा, 'दरअसल दवे ये फोन डायरेक्टर जनरल मिलिट्री इंटेलिजेंस को करना चाहते थे, लेकिन उनके सचिव ने ये फोन गलती से मुझे मिला दिया. जब उन्हें पता चला कि डीजीएमआई की जगह मैं फोन पर हूं तो वो बहुत शर्मिंदा हुए. मैंने उनसे कहा कि वो इस फोन बातचीत की ट्रांस- स्क्रिप्ट तुरंत मुझे भेजें.' जनरल मलिक ने आगे कहा, 'पूरी ट्रांस- स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद मैंने अरविंद दवे को फोन मिला कर कहा मेरा मानना है कि ये बातचीत जनरल मुशर्रफ जो कि इस समय चीन में हैं और एक बहुत सीनियर जनरल के बीच में है. मैंने दवे को सलाह दी कि आप इन टेलिफोन नंबरों की रिकार्डिंग करना जारी रखें, जो कि उन्होंने की.

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अजीज: यह पाकिस्तान है. हमें कमरा नंबर 83315 में कनेक्ट कीजिए.

मुशर्रफ: हेलो अजीज

अजीज: ग्राउंड सिचुएशन ओके. कोई बदलाव नहीं. उनके एक एमआई 17 हेलीकॉप्टर को गिराया गया है. क्या आपने कल की खबर सुनी कि मियां साहेब ने अपने भारतीय समकक्ष से बात की है. उन्होंने उनसे कहा कि मामले को तुल आपलोग दे रहे हैं. वायुसेना का इस्तेमाल करने से पहले आपको कुछ और इंतजार करना चाहिए था. उन्होंने उनसे कहा कि हम तनाव को कम करने के लिए विदेश मंत्री सरताज अजीज को दिल्ली भेज सकते हैं.

मुशर्रफ: ओके, क्या यह एमआई-17 हमारे इलाके में गिरा है?

अजीज: नहीं सर, यह उनके इलाके में गिरा है. हमने उसे गिराने का दावा नहीं किया है. हमने मुजाहिदीनों से उसे गिराने का दावा कराया है.

मुशर्रफ: अच्छा किया.

अजीज: लेकिन ये देखने वाला दृश्य था. हमारी अपनी आखों के सामने उनका हेलीकॉप्टर गिरा.

मुशर्रफ: वेल डन. क्या इसके बाद उन्हें हमारी सीमा के पास उड़ान भरने में दिक्कत हो रही है? वो डरे हैं या नहीं? इस पर भी नजर रखो. क्या अब वो हमारी सीमा से दूरी बनाकर उड़ रहे हैं?

अजीज: हां, अब उनपर बहुत दबाव है. उसके बाद उनकी उड़ानों में कमी आई है.

मुशर्रफ: बहुत अच्छे, फर्स्ट क्लास.

(साभार : बीबीसी रिपोर्ट)