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अमेरिका-ईरान के बीच तनाव बढ़ने से लाखों लोगों को मिलने वाली मदद पर संकट, जानें कैसे

अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के कारण पश्चिम एशिया में लाखों लोगों को मिलने वाली मदद के समक्ष संकट खड़ा हो गया है.

Updated on: 08 Jan 2020, 07:34 PM

बेरूत:

अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के कारण पश्चिम एशिया में लाखों लोगों को मिलने वाली मदद के समक्ष संकट खड़ा हो गया है. नॉर्वे शरणार्थी काउंसिल (एनआरसी) ने बुधवार को यह बात कही है. एनआरसी के प्रमुख जैन इगलैंड ने एक बयान में कहा कि पश्चिम एशिया में लाखों लोगों को मानवीय मदद की जरूरत है. इनमें से अधिकतर लोग पहले ही संकट के कारण बर्बाद या विस्थापित हो चुके हैं.

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एनआरसी के प्रमुख जैन इगलैंड ने चेताया कि अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय शक्तियों के बीच एक और टकराव से मदद के रास्तों पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. दरअसल, पिछले सप्ताह इराक की राजधानी बगदाद में हुए अमेरिकी हवाई हमले में ईरान के शीर्ष कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत हो गई थी, जिसके बाद से अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ा हुआ है. ईरान ने अपने सैन्य कमांडर की मौत के जवाब में बीती रात पश्चिमी इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइलें दागीं.

दोनों देशों ने एक दूसरे को आगाह किया है कि अगर अब कोई हमला हुआ तो उसके भयंकर परिणाम होंगे. इग्लैंड ने कहा कि तनाव बढ़ने, प्रतिबंधों के चलते या आवाजाही पर पाबंदी की सूरत में क्षेत्र के भीतर ही विस्थापित हो चुके दो करोड़ चालीस लाख युद्ध प्रभावित यमनियों और एक करोड़ 12 लाख सीरियाई लोगों पर बहुत बुरा असर पड़ेगा.

ईरान ने अपने सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत का बदला लेने के लिए बुधवार को इराक स्थित अमेरिकी सैन्य बलों के ठिकानों पर हमले किए. ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर ने एक बयान में कहा कि ‘ऑपरेशन मार्टिर सुलेमानी’ अमेरिकी हमलावरों के आपराधिक एवं आतंकी अभियान के जवाब और सुलेमानी की कायराना हत्या एवं दर्दनाक शहादत का बदला लेने के लिए था. इसमें कहा गया, ‘अमेरिकी आतंकी सेना के हमलावर हवाई प्रतिष्ठान पर जमीन से जमीन पर मार करने वाली दर्जनों मिसाइलें दागी गईं. एन अल असद, और यह ठिकाना नष्ट कर दिया गया.’

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बयान में कहा गया, ‘इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कोर इस महान विजय के लिए इस्लाम के अनुयायियों को बधाई देती है और इस्लामी ईरान के महान तथा समर्पित लोगों को यह सूचित करती है. 1- हम बड़े शैतान, क्रूर और अहंकारी अमेरिकी शासन को चुनौती देते हैं कि किसी भी नए दुर्भावनापूर्ण कृत्य या हमलावर गतिविधि का अंजाम और भी अधिक दर्दनाक तथा विनाशकारी होगा. 2- हम अमेरिका की आतंकी सेना को आधार उपलब्ध कराने वाली उसकी मित्र सरकारों को चेतावनी देते हैं कि ऐसे किसी भी स्थल को निशाना बनाया जाएगा जिसका इस्तेमाल इस्लामी गणराज्य ईरान के खिलाफ किसी भी तरह की शत्रुतापूर्ण और हमलावर गतिविधि के लिए किया जाएगा. 3-हमें नहीं लगता कि यहूदी शासन इन अपराधों के लिए (जिम्मेदारी) किसी भी तरह अमेरिका से अलग है. 4-हम अमेरिकी लोगों को सलाह देते हैं कि वे और अधिक नुकसान तथा क्षेत्र में मौजूद अपने सैनिकों का जीवन बचाने के लिए अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाएं.