logo-image

चीन ने सिक्किम सेक्टर के डाकोला में बॉर्डर पर टैंकों के साथ किया युद्ध अभ्यास, कहा ग़लतफहमी न पाले भारत

चीनी सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक चीनी सेना ने समुद्र तल से 5100 मीटर की ऊंचाई पर युद्धक टैंक से लैस होकर सैन्य अभ्यास किया है।

Updated on: 06 Jul 2017, 11:41 AM

highlights

  • चीनी सेना ने समुद्र तल से 5100 मीटर की ऊंचाई पर युद्धक टैंक से लैस होकर सैन्य अभ्यास किया है
  • झू ने कहा कि चीनी सेना भारतीय सेना के मुकाबले लगातार ताकतवर और मजबूत होती जा रही है
  • अख़बार ने गुरुवार को 'मिलिट्री ताकत की गलतफहमी न पाले भारत' शीर्षक के साथ ख़बर छापी थी

 

नई दिल्ली:

भारत और चीन के बीच सिक्किम सेक्टर के डाकोला में चल रही तनातनी बढ़ती हा जा रहूी है। चीनी सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक चीनी सेना ने समुद्र तल से 5100 मीटर की ऊंचाई पर युद्धक टैंक से लैस होकर सैन्य अभ्यास किया है।

रिपोर्ट के मुताबिक सैन्य अभ्यास में पीपुल लिबरेशन आर्मी के सबसे उन्नत युद्धक टैंक 96बी भी शामिल किया गया था। अख़बार ने गुरुवार को 'मिलिट्री ताकत की गलतफहमी न पाले भारत' शीर्षक के साथ ख़बर छापी थी। हालांकि अख़बार में छपी रिपोर्ट में कहीं भी सैन्य अभ्यास का समय नहीं बताया गया है।

पीएलए के रिटायर्ड जनरल झू हेपिंग ने कहा कि भारत डाकोला में चीन द्वारा किए जा रहे सड़क निर्माण को रोक नहीं पाएगा। उन्होंने सवाल करते हुए कहा, 'क्या आपको लगता है कि कुछ मिलिट्री वाहनों और सैनिकों के साथ सीमा पर चीन के सड़क निर्माण कार्यक्रम को रोका जा सकता है।'

2017 में दुनिया के परमाणु जखीरे में कमी, भारत और पाकिस्तान ने बढ़ाई परमाणु हथियारों की संख्या

झू ने कहा कि चीनी सेना भारतीय सेना के मुकाबले लगातार ताकतवर और मजबूत होती जा रही है। चीन के सामने भारतीय सेना कहीं भी नहीं ठहरती। इसलिए भारत द्वारा चीन को उकसाये जाने का कोई ख़ास असर नहीं पड़ने वाला है।

बता दें कि 16 जून को इसी रोड के निर्माण को लेकर चीन के साथ सीमा पर तनातनी बढ़ गई है। चीन इस इलाके को अपना हिस्सा बताता है।

गुरुवार की छपी रिपोर्ट के मुताबिक चीनी सेना के वेस्टर्न कमांड ने हाल ही में कैवेलरी ब्रिगेड को 5100 मीटर ऊंचाई पर सैन्य अभ्यास के लिए भेजा था। यह पहली बार है जब पीएलए की आर्म्ड ब्रिगेड तनाव के माहोल में युद्धाभ्यास कर रही है।

चीनी मीडिया ने चेताया-सैन्य ताकत के भुलावे में न रहे दिल्ली, भारत ने कहा- कूटनीति आखिरी रास्ता