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चीनी मीडिया की चेतावनी, भारत-चीन के बीच युद्ध का कारण बन सकता है 'हिंदू राष्ट्रवाद'

इस बीच चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने दोनों देशों के बीच जारी तनातनी को लेकर युद्ध की आशंका जाहिर करते हुए हिंदू राष्ट्रवाद पर टिप्पणी की है।

Updated on: 20 Jul 2017, 12:25 PM

highlights

  • भारत-चीन सीमा विवाद के बीच चीनी मीडिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी नसीहत
  • चीन के सरकार अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख में 'हिंदू राष्ट्रवाद' को युद्ध के लिए प्रेरक बताया

नई दिल्ली:

सीमा विवाद के मामले में चीनी मीडिया ने भारत के खिलाफ वर्चुअल मोर्चा खोल रखा है। चीन भारत से डाकोला से सैनिकों को वापस बुलाने की मांग पर अड़ा हुआ है, वहीं भारत चीन को सीमाई इलाके में सड़क निर्माण से रोकने की मांग पर अडिग है।

इस बीच चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने दोनों देशों के बीच जारी तनातनी को लेकर युद्ध की आशंका जाहिर करते हुए 'हिंदू राष्ट्रवाद' पर टिप्पणी की है। चीन के सरकारी अखबार में छपी संपादकीय नीति अनाधिकारिक रुप से चीनी सरकार का नजरिया होती है।

अखबार में लिखा गया है कि भारत का 'हिंदू राष्ट्रवाद' दोनों देशों के बीच युद्ध के खतरे को बढ़ा रहा है। 'भारत में बढ़ता हिंदू राष्ट्रवाद' के नाम से छपे इस लेख में कहा गया है, 'भारत को सावधान रहना चाहिए और उसे धार्मिक राष्ट्रवाद को दोनों देशों के बीच युद्ध का कारण नहीं बनने देना चाहिए।' 

गौरतलब है संसद के मानसून सत्र में भी चीन सीमा विवाद को लेकर हंगामा जारी है। समाजवादी पार्टी नेता और देश के पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव ने लोकसभा में सरकार को नसीहत देते हुए कहा था कि चीन भारत के साथ युद्ध की तैयारी कर चुका है। उन्होंने कहा कि भारत को भी अब तिब्बत की आजादी का समर्थन करना शुरू कर देना चाहिए।

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रिपोर्ट में कहा गया है, 'हिंदू राष्ट्रवाद भारत को चीन के साथ युद्ध की तरफ धकेल रहा है।' इसमें कहा गया है, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव ने देश में राष्ट्रवादी भावनाओं को हवा दी है। और ऐसे में अगर धार्मिक राष्ट्रवाद हद से ज्यादा बढ़ गया तो मोदी भी कुछ नहीं कर पाएंगे क्योंकि वह 2014 के सत्ता में आने के बाद मुस्लिमों के खिलाफ होने वाली हिंसा को रोकने में विफल रहे हैं।'

अखबार में छपा लेख बताता है, 'मोदी ने सत्ता में आने के बाद बढ़ते हिंदू राष्ट्रवाद की भावना का लाभ उठाया। राष्ट्रवादी नजरिया चीन से बदले की मांग कर रहा है।' रिपोर्ट में लिखा गया है, 'चीन की तरफ से बार-बार सेना को वापस लिए जाने की अपील के बाद भी नई दिल्ली उकसावे की कार्रवाई में जुटा हुआ है।'

रिपोर्ट में कहा गया है, 'भारत ताकत के मामले में चीन से कमजोर है लेकिन बावजूद इसके नई दिल्ली के रणनीतिकारों और नेताओं ने भारत की चीन नीति को राष्ट्रवाद के हाथों में जाने से नहीं रोका।'

गौरतलब है कि डाकोला में सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन पिछले एक महीने से अधिक समय से आमने-सामने हैं। इस बीच तिब्बत में चीनी सैनिकों की तैनाती और भारी हथियारों को तैनात किए जाने की खबर आई थी, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया है।

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