logo-image

एक बार फिर FATF में ब्लैक लिस्ट होने से चीन ने अपने दोस्त पाकिस्तान को बचाया, जानें कैसे

चीन (China) ने अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर एक बार फिर पाकिस्‍तान (Pakistan) का सपोर्ट किया है.

Updated on: 22 Jun 2019, 11:24 AM

नई दिल्ली:

चीन (China) ने अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर एक बार फिर पाकिस्‍तान (Pakistan) का सपोर्ट किया है. जहां भारत फायनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) में पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करने पर जोर डाल रहा है तो वहीं चीन ने उसे ब्लैक लिस्ट से बचा लिया है. अब पाकिस्तान को सुधार के लिए अक्टूबर तक का समय मिला है. अगर इसके बाद भी पाकिस्तान अपने में सुधार नहीं किया तो उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा.

यह भी पढ़ेंः पीएम नरेंद्र मोदी और एकता कपूर में क्या है एक जैसी समानता, सुनिए खुद स्मृति ईरानी से

ओरलैंड में 16-21 जून तक चली बैठक में भारत चाहता है कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाए. क्योंकि लगातार पाकिस्तान को वार्निंग देने के बाद भी वह टेरर फंडिग से बाज नहीं आ रहा है. लेकिन इस बैठक में चीन ने पाकिस्तान का सपोर्ट कर उसे ब्लैक लिस्ट होने से बचा लिया है.

यह भी पढ़ेंः अमेरिका और ईरान के बीच टल गया युद्ध, 10 मिनट पहले डोनाल्ड ट्रंप ने लिया था यह फैसला

गौरतलब है कि ग्रे लिस्ट में चल रहे पाकिस्तान को आतंकी फंडिंग में लगाम लगानी है. इसके लिए उसके पास 18 महीने का नेगोसिएशन पीरियड है. लेकिन 27 मानकों में से 24 पर अभी भी वह नाकाम है. अब पाकिस्‍तान को अक्टूबर की बैठक तक का समय मिला है. भारत ने उसे ब्लैक लिस्ट करने का मोशन मूव किया था.

यह भी पढ़ेंः हो जाइये सावधान, दिल्ली मेट्रो की ये लाइन हुई बाधित; उठानी पड़ सकती है परेशानी

पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से निकलने के लिए FATF के 36 वोटिंग मेंबर्स में से कम से कम 15 सदस्यों के सपोर्ट जबकि ब्लैकलिस्ट से बचने के लिए 3 वोट की जरूरत होगी. अगर पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में बना रहता है तो इमरान खान की सरकार को बिगड़ते आर्थिक संकट के बीच विदेशी निवेश लाने में मुश्किल होगी.

क्या है FATF

FATF दुनिया भर में आतंकियों को आर्थिक मदद पर नजर रखने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था है. यह एशिया-पैसिफिक ग्रुप मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फाइनेंसिंग, जनसंहार करने वाले हथियारों की खरीद के लिए होने वाली वित्तीय लेन-देन को रोकती है. 1989 में इसका गठन मनी लांड्रिंग रोकने के लिए किया गया था. लेकिन 2001 में इसका काम बदल गया और यह आतंकियों को दी जाने वाली वित्तीय मदद पर नजर रखने लगी.