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चीन ने मुसलमानों पर फिर ढाया कहर, दर्जनों मस्‍जिदों को नेस्‍तानबूत किया

इन धार्मिक स्थलों में से 15 इमारतों का लगभग या पूरी तरह से नामोनिशान मिटा दिया गया है. कई मस्जिदों में गुंबद को पूरी तरह से हटा दिया गया है.

Updated on: 08 May 2019, 08:29 PM

highlights

  • 31 मस्‍जिदों और दो इस्‍लामिक स्‍थलों को पहुंचाई गई  क्षति
  • 15 धार्मिक स्‍थलों का पूरी तरह से नामोनिशान मिटाया गया
  • सैकड़ों साल पुरानी एतिका मस्‍जिद को भी ढहा दिया गया 

नई दिल्‍ली:

मुसलमानों पर चीन का कहर जारी है. अब चीन ने पश्चिमी शिनजियांग प्रांत में इस्लामिक धार्मिक स्थलों को बड़े पैमाने पर नष्ट कर रहा है. इस प्रांत में अल्पसंख्यक उइगर मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं जिन पर चीनी प्रशासन की कड़ी निगरानी बनी हुई है. 'द गार्जियन' और बेलिंगकैट वेबसाइटों की निगरानी में यह बात सामने आई है. दोनों वेबसाइटों ने सेटेलाइट तस्वीरों से 91 धार्मिक स्थलों की निगरानी की तो पाया कि करीब 31 मस्जिदों और दो महत्वपूर्ण इस्लामिक स्थलों को 2016 से लेकर 2018 के बीच गंभीर क्षति पहुंचाई गई है.

इन धार्मिक स्थलों में से 15 इमारतों का लगभग या पूरी तरह से नामोनिशान मिटा दिया गया है. कई मस्जिदों में गुंबद को पूरी तरह से हटा दिया गया है. मस्जिद की तरह इस्तेमाल की जा रही 9 अन्य इमारतों को भी पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया.

उइगर मुसलमानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण तीर्थस्थल इमाम आसिम श्राइन की सबसे बड़ी मस्जिद कारगिलिक को भी बर्बाद कर दिया गया है. होतन के नजदीक सैकड़ों साल पुरानी युतियन एतिका मस्जिद जहां पर स्थानीय नमाज अदा करने के लिए जुटते थे, उसे भी ढहा दिया गया है.

मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों के उत्पीड़न और उनके दमन के लिए चीन पूरी दुनिया में आलोचना का शिकार हो रहा है. राज्य विभाग के अनुमान के मुताबिक, करीब 20 लाख उइगर, काजाकास, किर्गिज समेत तुर्की मुस्लिमों को बीजिंग के प्रशिक्षण कैंप के नाम पर कैद में रखा जा रहा है. लोग इन प्रशिक्षण कैंपों को डिटेंशन कैंप कहते हैं.

अमेरिका के विदेश विभाग के अधिकारियों ने कई मौकों पर चीन के इस बर्ताव की निंदा की है. चीन इसे आतंकवाद से लड़ने का जरिया बताकर अपना बचाव करता है और इन कैंपों को बोर्डिंग स्कूल जैसे प्रशिक्षण कैंप की तरह पेश करता है.


कई विश्लेषकों का मानना है कि चीनी सरकार धार्मिक स्थलों का इसलिए सफाया कर रही है ताकि चीन में इस्लाम धर्म की पहचान को पूरी तरह से मिटाया जा सके.