logo-image

प्राकृतिक गैस से कार्बन उत्सर्जन 2019 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की आशंका

कार्बन बजट रिपोर्ट के लेखक और ईस्ट एंजिलिया विश्वविद्यालय के कोरनी ली क्यूरे ने कहा कि हम स्पष्ट रूप से देख रहे हैं कि वैश्विक बदलाव कोयले के इस्तेमाल में उतार-चढ़ाव की वजह से है

Updated on: 04 Dec 2019, 07:58 PM

highlights

  • 2019 में खतरनाक स्तर पर पहुंच जाएगा कार्बन उत्सर्जन. 
  • वैश्विक स्तर पर कोयले की खपत में कमी आई है और कुछ देश पर्यावरण आपातकाल घोषित कर रहे हैं.
  • यह वृद्धि गत वर्षों के मुकाबले कम है, बावजूद वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है.

पेरिस:

प्राकृतिक गैस (Natural Gas) की खपत में हो रही वृद्धि की वजह से 2019 में कार्बन उत्सर्जन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की आशंका है. यह स्थिति तब है जब वैश्विक स्तर पर कोयले की खपत में कमी आई है और कुछ देश पर्यावरण आपातकाल घोषित कर रहे हैं. शोधकर्ताओं ने बुधवार को बताया कि जीवाश्म ईंधन उपयोग प्रवृत्ति के वार्षिक विश्लेषण के मुताबिक इस वर्ष कार्बन डाइ ऑक्साइड के उत्सर्जन में 0.6 फीसदी वृद्धि होने की आशंका जताई गई है.

हालांकि, यह वृद्धि गत वर्षों के मुकाबले कम है, बावजूद वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है. तीन प्रमुख समीक्षा अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इस स्थिति के लिए प्राकृतिक गैस और तेल के इस्तेमाल में बढ़ोतरी और अमेरिका एवं यूरोप में कोयले के इस्तेमाल में उल्लेखनीय कमी को श्रेय दिया है. कार्बन बजट रिपोर्ट के लेखक और ईस्ट एंजिलिया विश्वविद्यालय के कोरनी ली क्यूरे ने कहा कि हम स्पष्ट रूप से देख रहे हैं कि वैश्विक बदलाव कोयले के इस्तेमाल में उतार-चढ़ाव की वजह से है.

यह भी पढ़ें: विवादित बयान पर अधीर रंजन ने लोकसभा में निर्मला सीतारमण से मांगी माफी, कहा- वह मेरी बहन जैसी हैं

उन्होंने कहा कि यह विरोधाभास है कि तेल और विशेष रूप से प्राकृतिक गैस की खपत लगातार बढ़ रही है. कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि के लिए अब सबसे अधिक योगदान प्राकृतिक गैस का है. ली क्यूरे ने बताया कि गत दशकों में वायुमंडलीय कार्बन डाइ ऑक्साइड के स्तर में तेजी से वृद्धि हुई है और इस साल इसके औसतन 410पीपीएम के स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है जो आठ लाख साल में सबसे अधिक होगी.

यह रिपोर्ट मैड्रिड में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में शामिल होने वाले प्रतिनिधियों को और असहज करेगी क्योंकि दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिक इस मुद्दे पर चेतावनी दे रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र ने पिछले महीने कहा था कि 2030 तक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने की उम्मीद कायम रहे इसके लिए वैश्विक उत्सर्जन में हर साल 7.6 फीसदी की कमी लानी होगी.

औद्योगीकरण के बाद से अब तक तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है और जिसकी वजह से 2019 में जानमाल को नुकसान पहुंचाने वाले तूफान, सूखा, बाढ़ आदि देखने को मिला. संयुक्त राष्ट्र ने बुधवार को कहा कि लगभग तय है कि 2010 अब तक का सबसे गर्म दशक रहा और इस साल विपरीत मौसम की वजह से 2.2 करोड़ लोगों को विस्थापित होना पड़ सकता है.

यह भी पढ़ें: Jio ने लांच किया ALL-IN-ONE PLANS, 6 दिसंबर से इतने रुपये में मिलेंगे ये प्लान

ली क्यूरे ने कहा कि यह स्पष्ट है कि मौजूदा नीतियां इस समस्या के समाधान के लिए पर्याप्त नहीं है. अभी तक गंभीरता से कार्रवाई नहीं की गई है.’’ उन्होंने कहा कि अमेरिका और यूरोप में कोयले के इस्तेमाल में कमी लाने की वजह से कार्बन उत्सर्जन में 1.7 फीसदी की कमी आई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन दोनों क्षेत्रों में प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन के इस्तेमाल में करीब 10 फीसदी की कमी आई है लेकिन सबसे बड़े उत्सर्जकों भारत और चीन और खासतौर पर प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल से वैश्विक स्तर पर यह बेअसर साबित हो रहा है.

अंतरराष्ट्रीय जलवायु शोध केंद्र के शोध निदेशक ग्लेन पीटर्स ने कहा कि कोयले के मुकाबले प्राकृतिक गैस स्वच्छ ईंधन है लेकिन लगातार इस्तेमाल से धरती कोयले के मुकाबले इससे धीमी गति से गर्म होगी.