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रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी में रोड़ा अटका रहे कुछ एनजीओ, जानें कैसे

बांग्लादेशी सरकार का कहना है कि कुछ गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) देश से रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार वापस भेजने के रास्ते में रोड़ा अटका रहे हैं.

Updated on: 23 Aug 2019, 09:11 PM

नई दिल्ली:

बांग्लादेशी सरकार का कहना है कि कुछ गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) देश से रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार वापस भेजने के रास्ते में रोड़ा अटका रहे हैं. बीडी न्यूज24 की रिपोर्ट के अनुसार, एक संसदीय स्थायी समिति ने गुरुवार को एक बैठक में शिकायत सुनने के बाद उन एनजीओ की पहचान की. कॉक्स बाजार के शिविरों से शरणार्थियों को वापस अपने देश भेजने का दूसरा प्रयास भी ठप हो गया है.

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कमेटी के चेयरमैन मुहम्मद फारुक खान ने कहा, विदेश मंत्रालय ने हमें सूचित किया है कि कुछ गैर-सरकारी संगठनों का ऐसा मानना है कि रोहिंग्याओं को समझना चाहिए कि उन्हें अपने देश वापस नहीं लौटना चाहिए. उन्होंने आगे कहा, इन एनजीओ का कहना है कि रोहिंग्याओं को तब तक नहीं लौटना चाहिए, जब तक उनकी नागरिकता सहित कुछ शर्ते पूरी नहीं हो जातीं.

विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमन ने गुरुवार को कहा कि वे किसी को भी जाने के लिए मजबूर नहीं करेंगे, लेकिन रोहिंग्याओं को उनके स्वदेश लौटने से इंकार करने के कारण 'निराशाजनक' और 'अप्रत्याशित' हैं. रोहिंग्या, बांग्लादेश में अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरी करने के लिए स्वदेश वापसी की कम से कम चार शर्तें तय कर चुके हैं- नागरिकता, सुरक्षा, क्षतिपूर्ति, और भूमि अधिकार.

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संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों और सरकार के अलावा, स्थानीय और विदेशी एनजीओ 11 लाख से अधिक रोहिंग्या को शरण देने वाले कॉक्स बाजार शरणार्थी शिविरों में काम कर रहे हैं.