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ईरान के हमले की आशंका के बीच अमेरिका ने कतर में तैनात किए एफ-22 लड़ाकू विमान

अमेरिका और ईरान के बीच तनाव घटने का नाम ही नहीं ले रहा है. अब इस तनाव के बीच पेंटागन ने पहली बार एफ-22 रैप्टर स्टील्थ लड़ाकू विमानों को कतर में तैनात किया है.

Updated on: 30 Jun 2019, 08:20 AM

highlights

  • पेंटागन ने पहली बार एफ-22 स्टील्थ लड़ाकू विमानों को कतर में तैनात किया है.
  • यह कदम उन रिपोर्ट पर केंद्रित है, जिनमें कहा गया कि ईरान अमेरिका पर हमला कर सकता है.
  • तेहरान और वॉशिंगटन के बीच कम नहीं हो रहा है तनाव.

नई दिल्ली.:

अमेरिका और ईरान के बीच तनाव घटने का नाम ही नहीं ले रहा है. अब इस तनाव के बीच पेंटागन ने पहली बार एफ-22 रैप्टर स्टील्थ लड़ाकू विमानों को कतर में तैनात किया है. अमेरिकी वायु सेना के सैन्य कमांड ने अपने बयान में कहा, 'अमेरिकी सेना और उसके हितों की रक्षा के लिए यह तैनाती की गई है.' हालांकि बयान में तैनात विमानों की संख्या का कोई जिक्र नहीं है. अमेरिकी सेना ने यह कदम उन खुफिया जानकारी के बाद उठाया है, जिनमें कहा गया है कि ईरान अमेरिका पर आक्रमण कर सकता है.

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अमेरिका ने ऐहतियातन उठाया कदम
इसके पहले अमेरिका के दो बड़े जहाजों और कीमती ड्रोन को मार गिराने के बाद वॉशिंगटन और तेहरान के बीच तनाव काफी बढ़ गया था. यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर हमला करने तक का मन बना लिया था. इस कड़ी में अब अमेरिका मध्य पूर्व में अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ा रहा है. अमेरिका के लड़ाकू विमान दोहा के अल उदीद एयर बेस में तैनात किए जा चके हैं. हालांकि, एक रक्षा अधिकारी के मुताबिक लड़ाकू विमानों की मध्य पूर्व में तैनाती पहले से घोषित थी. इसका उद्देश्य पूरे क्षेत्र, विशेषकर इराक और सीरिया में अपनी सेना की रक्षा के लिए अमेरिकी सामरिक क्षमता को बढ़ावा देना है. गौरतलब है कि अमेरिकी सेना ईरान समर्थित आतंकियों के साथ लड़ाई लड़ रही है.

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ईरान के हमले की है खुफिया सूचना
इस बीच अमेरिकी अधिकारियों ने विश्वस्त खुफिया जानकारी के आधार पर कहा है कि ईरानी सेना और उसके समर्थक अमेरिकियों पर हमला करने की योजना बना सकते हैं. इसका जवाब देने के लिए भी अमेरिका ने यह तैनाती की है. शनिवार सुबह और शुक्रवार देर रात अल उदीद एयर बेस के पास अमेरिकी विमानों को प्रशिक्षण उड़ान भरते हुए भी देखा गया. अमेरिका द्वारा मल्टिपार्टी न्यूक्लियर डील 2015 से वापस हटने और ईरान पर प्रतिबंध लगाने के बाद दोनों देशों में तनाव अपने चरम पर है.