बलूचिस्तान में दमन का मुद्दा UNHRC में उठा, पाकिस्तान के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन
वर्ल्ड बलूच ऑर्गनाइज़ेशन ने जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन के सामने पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
नई दिल्ली:
वर्ल्ड बलूच ऑर्गनाइज़ेशन ने जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन के सामने पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
बलूचिस्तान के प्रतिनिधि और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने यूनाइटेड नेशन ह्यूमन राइट्स एसोसिएशन (यूएनएचआरसी) के 36वें सेशन पर पाकिस्तान में बलूच लोगों के प्रति बढ़ते मानवाधिकार अधिकारों के उल्लंघन की घटनाओं के खिलाफ प्रदर्शन किया गया।
प्रदर्शनकारियों ने बलूचिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति और चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के क्रूर कार्यान्वयन के प्रति अपना असंतोष व्यक्त किया है।
सीपीईसी के निर्माण कार्य शुरु होने के बाद से बलूच लोगों को जबरन वहां से हटाया जा रहा है। सीपीईसी के चलते विकास के दावों के बावजूद पाकिस्तानी अधिकारी बलूच लोगों का दमन कर रहे हैं और उन्हें प्रभावी रूप से सभी स्तरों पर इस परियोजना से बाहर रखा गया है।
इस परियोजना पर किसी भी तरह के विरोध को बुरी तरह से दबाया जाता रहा है।
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यूएनएचआरसी के बाहर ब्रोकन चेयर स्मारक के बराबर में खड़े होकर प्रदर्शनकारियों ने बलूचिस्तान में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए जागरूकता फैलाई और बलूच लोगों के हाशिए और दमन का विरोध किया।
बलूच मानवाधिकारों के कार्यकर्ता शाहजहां बलूच ने कहा,'हमारा उद्देश्य पाकिस्तान में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन के प्रति, सीपीईसी प्रोजेक्ट जो कि बलूच लोगों की इच्छा के विरुद्ध है और इसके चलते पाकिस्तान में बलूच लोगों पर जारी दमनकारी सैनिक कार्रवाईयों के खिलाफ आवाज़ उठाना है। हम यहां इसीलिए प्रदर्शन कर रहे हैं ताकि पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में प्रकाश डाल सके।'
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शाहजहां ने कहा कि बलूचिस्तान में सामान्य मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है, जिन लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाता है उन्हें न्याय पाने का भी अधिकार नहीं मिलता है क्योंकि कानून के मुताबिक उन्हें कोर्ट में पेश ही नहीं किया जाता।
शाहजहां आगे बोलते है कि बलूचिस्तान की वास्तविक स्थिति मीडिया छपने वाली खबरों से कहीं अधिक खराब है। वहां कई जगहों पर पीने का साफ पानी तक नहीं मिलता है।
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