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भारतीय प्रोफेसर ने माल्या के वकील की कानूनी समझ पर उठाए सवाल

प्रोफेसर ने कहा कि विजय माल्या के वकीलों ने उनके रिसर्च के निष्कर्ष की गलत तरीके से व्याख्या की और इसके विश्लेषण को गलत समझा। डैम ने इस स्टडी के लिए सह लेखन का कार्य किया है।

Updated on: 13 Dec 2017, 11:04 AM

नई दिल्ली:

भारतीय मूल के एक ब्रिटिश प्रोफेसर ने विजय माल्या की टीम की कानूनी समझ पर सवाल उठाते हुए कहा कि विजय माल्या के बचाव पक्ष ने उनके द्वारा किए गए जिस अध्ययन का हवाला दिया है, उन्होंने उसे तोड़-मरोड़ कर पेश किया है।

प्रोफेसर ने कहा कि विजय माल्या के वकीलों ने उनके रिसर्च के निष्कर्ष की गलत तरीके से व्याख्या की और इसके विश्लेषण को गलत समझा। डैम ने इस स्टडी के लिए सह लेखन का कार्य किया है।

स्थानीय मीडिया में खबरों के आने के बाद पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शुभांकर डैम ने ‘क्राउन प्रॉसीक्यूशन सर्विस’(सीपीएस) को एक ईमेल कर माल्या के डिफेंस की उनकी स्टडी को लेकर दी गई दलील को गलत बताया।

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सीपीएस के वकील मार्क समर्स ने डैम के ईमेल को पढ़कर वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में प्रत्यर्पण सुनवाई की शुरुआत की। डैम ने भारतीय विधि व्यवस्था को ‘स्वतंत्र एवं निष्पक्ष’ बताया है।

सीपीएस ने जस्टिस एम्मा अरबुथनोट से कहा कि माल्या के बचाव पक्ष द्वारा दक्षिण एशियाई कानून के विशेषज्ञ के रूप में मार्टिन लाउ द्वारा दिए गए गवाह के रूप में बयान पर खबरों के बाद सोमवार रात यह ईमेल भेजा गया।

इससे पहले लाउ ने एक एजुकेशनल स्टडी का हवाला देते हुए सेवानिवृत्ति के पास वाले सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की निष्पक्षती पर सवाल उठाए थे।

डैम ने ईमेल में कहा, ‘हम शोधपत्र को लेकर बचाव पक्ष की समझ को खारिज करते हैं।’

डैम द्वारा भेजे गए इस ई-मेल को कोर्ट ने विजय माल्या के खिलाफ चल रहे बैंको से धोखाधड़ी के मामले में लिखित सेट के रूप में सब्मिट कर लिया है।

माल्या किंगफिशर एयरलाइंस के 9000 करोड़ रुपये के कर्ज न चुका पाने के मामले में भारत में वांछित है। वह पिछले वर्ष मार्च में ब्रिटेन भाग गए थे।

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