लेबर पार्टी की मांग ऑपरेशन ब्लूस्टार में ब्रिटेन की भूमिका स्पष्ट करे ब्रिटिश सरकार
हर 30 साल बाद गुप्त दस्तावेंजों के सार्वजनिक करने की ब्रिटिश नीति के तहत जब पहली बार ऑपरेशन ब्लूस्टार में ब्रिटिश मदद की बात सामने आई थी तो तात्कालिक प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने जांच के आदेश दिए थे।
नई दिल्ली:
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे का तीन दिनों का भारत दौरा रविवार से शुरू होना है लेकिन उससे पहले ही 32 साल पुराना एक विवाद सुर्खियों में आ गया है। ब्रिटेन की विपक्षी लेबर पार्टी ने थेरेसा मे से 1984 में स्वर्ण मंदिर में हुए ऑपरेशन ब्लूस्टार में ब्रिटेन की कथित भूमिका को लेकर सबकुछ साफ करने को कहा है।
लेबर पार्टी के एक बड़े नेता टॉम वाटसन ने शुक्रवार को कहा कि ब्रिटेन में मौजूद सिख समाज के लोगों को सच्चाई जानने का हक है। बता दें कि यूके सिख फेडरेशन ने आरोप लगाए हैं कि ब्रिटेन के विदेश कार्यालय ने उन फाइलों को हटा दिया है जिसमें ऑपरेशन ब्लूस्टार में ब्रिटेन की भूमिका के नए सबूत थे।
वाटसन के मुताबिक, 'भारत दौरे से पहले थेरेसा को 1984 में स्वर्ण मंदिर में हुए ऑपरेशन ब्लूस्टार पर स्थिति साफ करनी चाहिए। कई ऐसे सबूतों की बात सामने आई है जिसके अनुसार तब मार्गेट थेचर के प्रशासन ने जरूरत से ज्यादा भारत सरकार के साथ करीब होकर काम किया।'
वाटसन ने उन दावों का भी जिक्र किया जिसके मुताबिक ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने जानबूझकर उन फाइलों को हटा दिया है जिसमें ब्रिटिश आर्मी की यूनिट स्पेशल एयर सर्विसेस (SAS) के उस पूरे ऑपरेशन में मदद करने का जिक्र था। आरोपों के अनुसार भारतीय सरकार के अनुरोध पर SAS ने भारत में ऑपरेशन ब्लूस्टार से पहले आंतरिक सुरक्षा ड्यूटी के लिए नेशनल गार्ड के गठन में मदद की थी।
वाटसन ने कहा कि डेविड कैमरन की सरकार के दौरान हुई जांच से पूरे तथ्य सामने नहीं आ सके थे और अब ये बात आ रही है कि इस घटना से जुड़े नए दस्तावेज हटा दिए गए हैं। वाटसन ने कहा, 'जवाब मांगते हुए 30 साल से ऊपर हो गए। ब्रिटेन के सिख समाज का अब ये हक है कि वो सच्चाई जाने, भले ही मौजूदा सरकार के लिए वो कितना भी शर्मनाक क्यों न हो। यही नहीं, कैबिनेट सेक्रेटरी की नाकामी के बाद ये जरूरी हो जाता है कि इन मामलों की स्वतंत्र जांच हो।'
गौरतलब है कि हर 30 साल बाद गुप्त दस्तावेंजों के सार्वजनिक करने की ब्रिटिश नीति के तहत जब पहली बार ऑपरेशन ब्लूस्टार में ब्रिटिश मदद की बात सामने आई थी तो तात्कालिक प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने जांच के आदेश दिए थे। तब यूके के विदेश सचिव ने हाउस ऑफ कमंस को फरवरी-2014 में बताया, 'उस ऑपरेशन के बेहद शुरुआती दौर में ब्रिटिश सरकार ने बस सलाहकार के तौर पर कुछ भूमिका निभाई थी और ये बहुत सीमित था।'
दूसरी ओर सिख फेडरेशन यूके का दावा है कि उसके हाथ जो नोट हाथ लगे हैं, उसे 3 जुलाई, 1984 को लिखा गया था, यानी ऑपरेशन के एक महीने बाद। ये दिखाता है कि पूरे ऑपरेशन में ब्रिटेन की भूमिका और ज्यादा थी।
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