शेख हसीना ने कहा, रोहिंग्या संकट के बावजूद बांग्लादेश प्रगति करता रहेगा
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि मौजूदा राहिंग्या संकट के बावजूद बांग्लादेश लगातार प्रगति करता रहेगा।
highlights
- रखाइन प्रांत में हुई हिंसा की घटना के बाद 5 लाख से अधिक रोहिंग्या बांग्लादेश में शरण लिए हुए हैं
- शेख हसीना ने कहा कि बांग्लादेश ने रोहिंग्या मुसलमानों को मानवता के आधार पर शरण दी है
नई दिल्ली:
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि मौजूदा राहिंग्या संकट के बावजूद बांग्लादेश लगातार प्रगति करता रहेगा। साथ ही हसीना ने कहा कि उनकी सरकार लगातार रोहिंग्या मुसलमानों की मदद करती रहेगी।
शेख हसीना ने कहा, 'हम, बंगाली देश, लड़े और देश को मुक्त कराया, राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की राह पर चलते हुए हम किसी समस्या से लड़ने में कभी भयभीत नहीं हुए। हम समस्या से आगे आकर लड़ना चाहते हैं।'
शेख हसीना ने कहा कि इस संकट से निपटने के लिए म्यांमार के साथ बातचीत शुरू हो चुकी है। अभी हाल ही में म्यांमार के स्टेट काउंसलर कार्यालय के मंत्री क्यॉव टिंट स्वे ने बांग्लादेश का दौरा किया था।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश ने रोहिंग्या मुसलमानों को मानवता के आधार पर शरण दी, चुंकि देश के लोग हमेशा मानवता में विश्वास रखते हैं।
शेख हसीना ने कहा, 'मानव जाति मानव के लिए ही हैं। हम उन्हें (म्यांमार के नागरिकों) बंगाल की खाड़ी में नहीं फेंक सकते हैं। अगर हम 16 करोड़ लोगों को खिला सकते हैं, तो खराब स्थितियों में अतिरिक्त पांच से सात लाख लोगों को खिलाने के योग्य भी हैं।'
उन्होंने कहा, 'अगर आवश्यकता पड़ी, तो हमलोग सिर्फ एक समय खाना खाएंगे और दूसरे समय का खाना उन पीड़ित लोगों के साथ साझा करेंगे। हमलोग उतने अमीर नहीं है, लेकिन हमारा दिल बहुत बड़ा है और हम मानवता के लिए खड़े हैं।'
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इसके अलावा उन्होंने कहा कि जो रोहिंग्या अभी कॉक्स बाजार में शरण लिए हुए हैं, उन्हें जल्द ही एक द्वीप 'भासन चार' के में भेजा जाएगा।
म्यांमार के रखाइन प्रांत में हुई हिंसा की घटना के बाद 5 लाख से अधिक रोहिंग्या बांग्लादेश में शरण लिए हुए हैं। इस हिंसा में 100 से अधिक लोगों की जानें गई थी और कई अन्य विस्थापित हो गए थे।
म्यांमार की सेना ने रखाइन प्रांत में पिछले साल हुए 3 बॉर्डर पोस्ट पर हुए हमले के बाद कड़ी कार्रवाई की थी। बॉर्डर पोस्ट पर हुए हमले में 9 पुलिस के जवानों की मौत हो गई थी।
इसी घटना के बाद रोहिंग्या मुसलमान लगातार बांग्लादेश और भारत में शरण लेने के लिए भाग रहे हैं। बता दें कि म्यांमार रोहिंग्या को अपना नागरिक नहीं मानती है और उनके द्वारा उन्हें बंगाली बुलाया जाता है।
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