रेप पीड़िता ने सरकार की अनुमति से की आत्महत्या, जिंदगी से बेहतर लगी मौत
बचपन में बलात्कार की शिकार हुई एक लड़की ने नीदरलैंड्स सरकार की अनुमति से आत्महत्या कर ली. वह बलात्कार के सदमे से उबर नहीं सकी थी और हादसे के बाद से ही नैराश्य के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक तौर पर गंभीर रूप से बीमार थी.
highlights
- बचपन में बलात्कार के बाद ही नैराश्य और मनोविज्ञानी बीमारियों से पीड़ित.
- नैराश्य पर उसने अपनी आत्मकथा 'विनिंग और लर्निंग' भी लिखी.
- नीदरलैंड सरकार ने भी इच्छामृत्यु अधिनियम के तहत की उसकी मदद.
नई दिल्ली.:
बचपन में बलात्कार (Rape) की शिकार हुई एक लड़की ने नीदरलैंड्स (Netherlands) सरकार की अनुमति से आत्महत्या कर ली. वह बलात्कार के सदमे से उबर नहीं सकी थी और हादसे के बाद से ही नैराश्य (depression) के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक तौर पर गंभीर रूप से बीमार थी. अपने इस असहनीय दर्द की वजह से उसने सरकार से इच्छा मृत्यु (euthanasia) मांगी थी, जिसकी मंजूरी मिलने के बाद उसने सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई मदद से अपना जीवन समाप्त कर लिया. इसके पहले उसने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर की, जो वायरल हो गई.
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अपनी आत्मकथा भी लिखी
17 साल की नोआ पोत्होवन (Noa Pothoven) ने नैराश्य पर एक आत्मकथा 'विनिंग और लर्निंग' भी लिखी है. शनिवार को नोआ ने इंस्टाग्राम पर लिखा, मैं हद से हद 10 दिनों में मर जाऊंगी (It Is Finished). इसके बाद देखते ही देखते यह पोस्ट वायरल हो गई और देखते ही दसियों हजार लोगों ने इसे पढ़ा और शेयर किया. इस पोस्ट को लिखने के अगले दिन रविवार को नोआ ने आखिरी सांस ली. इच्छामृत्यु (euthanasia) का वरण करने में नीदरलैंड सरकार की ओर से अधिकृत क्लीनिक ने उसकी मदद की. इच्छामृत्यु को नीदरलैंड में सरकारी अनुमति प्राप्त है. हालांकि उसके पहले इच्छा मृत्यु अधिनियम 2001 (Suicide Act of 2001) के तहत सरकार से मंजूरी लेना जरूरी होता है. फिर एक डॉक्टर पुष्टि करता है कि संबंधित शख्स का दर्द असहनीय है और इसे सहने के बजाय मौत को गले लगाना उसके लिए श्रेयस्कर है
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सरकार ने इस तरह की मदद
नोआ ने इसी प्रक्रिया का पालन किया और रविवार को आखिरी सांस ली. अपनी मातृ भाषा में नोआ ने आखिरी पोस्ट बेहद भावनात्मक (Emotional) अंदाज में लिखी. उसने लिखा, 'साल दर साल संघर्ष दर संघर्ष अब सब खत्म हो जाएगा. मैंने अब खाना-पीना छोड़ दिया. हद से हद 10 दिनों में मैं अब अपने सारे दर्द से छुटकारा पा लूंगी.' नोआ ने जिस वक्त खाना-पीना छोड़ा तो सरकार ने भी उसे जबरन कुछ खिलाने-पिलाने की कोशिश नहीं की. इस तरह सरकार ने भी नोआ को आत्महत्या करने में मदद (Assisted) की.
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