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चीन-पाक इकनॉमिक कॉरिडोर को लेकर घर में घिरा पाकिस्तान, चीनी अर्थव्यवस्था को होगा फायदा

चीन पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इस बात का दावा किया है कि ये कॉरिडोर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए गेमचेंजर साबित होगा।

Updated on: 21 May 2017, 11:26 PM

नई दिल्ली:

चीन पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इस बात का दावा किया है कि ये कॉरिडोर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए गेमचेंजर साबित होगा। 

हालांकि पाकिस्तान के इस दावे को लेकर घर में ही सवाल उठने लगे हैं। पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार नजम सेठी का मानना है कि CPEC से पाकिस्तान का भला नहीं होगा बल्कि इससे बीजिंग और उसकी मुद्रा की स्थिति मजबूत होगी।

CPEC पर अपनी  राय रखते हुए उन्होंने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन अपनी मुद्रा युआन को अमेरिकी डॉलर की जगह दिलाने की कोशिश कर रहा है।'

चीन का वन बेल्ट वन रोड इस कॉरिडोर का हिस्सा है जो इस ओर एक अहम रोल निभाने वाला है

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नजम ने कहा, 'पाकिस्तान को विदेश से कोई इन्वेस्टमेंट नहीं मिल रहा है और इसी वजह से पाकिस्तान को एक कमजोर देश के तौर पर देखा जाता है।'

उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान का भारत, अफगानिस्तान, ईरान से भी सीमा विवाद है लेकिन चीन इस अस्थिरता का जोखिम उठाने को इसलिए तैयार है और इन्वेस्ट कर रहा है क्योंकि उसका यहां काफी प्रभाव है।

जिओ न्यूज के टीवी शो पर सेठी ने कहा, 'पहली बात तो वे सोचते हैं कि पाकिस्तान बिना चीन के टिक ही नहीं पाएगा। चीन पाकिस्तान को विदेश नीति खासकर भारत के खिलाफ नीति पर सुरक्षा प्रदान करता है।'

सेठी ने कहा, 'CPEC में चीन का निवेश का इससे कोई रिश्ता नहीं है कि यहां सत्ता में कौन है। किसी की भी सरकार होती तो चीन यह निवेश करता।'

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नजम सेठी ने कहा, 'दूसरी बात यह है कि अगर कोई जोखिम हुआ तो चीन दाम बढ़ा देगा। मान लीजिए कि कोई सामान अंतरराष्ट्रीय बाजार में 10 पैसे में बेची जा रही है लेकिन चीन उसे 15 पैसे में बेचेगा और इसके लिए वह निवेश में जोखिम का हवाला देगा।' 

सेठी ने यह भी कहा, 'चीन पाकिस्तान को कर्ज के जाल में फंसा लेगा। कॉरिडोर के खिलाफ कुछ आवाज भारत के आलावा पाकिस्तान से भी उठी है।'

वहीं भारत भी इसके खिलाफ आवाज उठता आ है भारत ने CPEC को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया है क्योंकि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है। इसी वजह से भारत ने पेइचिंग में हाल ही में आयोजित हुए 'वन बेल्ट वन रोड' समिट में हिस्सा नहीं लिया था।

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