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पाकिस्तान में सेना और सरकार आमने-सामने, अब्बासी ने कहा- तानाशाही ने देश का विकास रोका

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी ने शनिवार को कहा कि सैन्य तानाशाही ने हमेशा देश के विकास को रोका है।

Updated on: 15 Oct 2017, 12:12 AM

highlights

  • पाकिस्तानी पीएम प्रधानमंत्री अब्बासी ने सेना की आलोचना की
  • अब्बासी के अनुसार देश के विकास में बाधक रहा सैन्य शासन
  • पाकिस्तान के गृह मंत्री ने भी की सेना की आलोचना

नई दिल्ली:

पाकिस्तान में एक बार फिर सेना और सरकार आमने-सामने आ गए हैं। पाक प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी के सैन्य तानाशाही को देश के विकास में बाधक बताने के बाद अब सेना ने जवाब देते हुए कहा है कि उससे पाकिस्तान के लोकतंत्र को कई खतरा नहीं है।

दरअसल, अब्बासी के साथ पाकिस्तान के गृह मंत्री अशन इकबाल ने भी सेना की आलोचना की थी।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी ने शनिवार को कहा कि सैन्य तानाशाही ने हमेशा देश के विकास को रोका है। अब्बासी ने कराची बंदरगाह पर पाकिस्तान के अंतर्राष्ट्रीय थोक टर्मिनल के उद्घाटन समारोह में यह बात कही।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के लोगों को यह निर्णय करना पड़ेगा कि वे सरकार में किसे बिठाना चाहते हैं, किसे नहीं चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि जनता हमेशा उस राजनीतिक पार्टी को चुनती है, जो उनके लिए अच्छा काम करे और जो नेता अच्छा काम नहीं करते, उन्हें घर भेजा जाना चाहिए।

अब्बासी ने कहा, 'लेकिन इसकी प्रक्रिया लोकतांत्रिक होनी चाहिए और लोगों को यह निर्णय लेना चाहिए।'

उन्होंने सेनाध्यक्ष के उस बयान की खिल्ली उड़ाई, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश भारी कर्ज में डूब गया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) नीत सरकार ने अपने चार वर्षो के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था को स्थिर किया है।

उनके अनुसार, मौजूदा सरकार ने पिछली सरकार द्वारा शुरू की गई सभी बिजली परियोजनाओं को पूरा किया है। इसके अलावा सत्ताधारी पीएमएल-एन द्वारा शुरू की गई एक परियोजना को भी पूरा किया गया है।

इस पर पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग के अधिकारी आसिफ गफ्फूर ने कहा, 'पाकिस्तानी सेना से लोकतंत्र के लिए कोई खतरा नहीं है, लेकिन अगर लोकतंत्र की आवश्यकताएं पूरी नहीं की जा रही हैं, तो खतरा हो सकता है।'

उन्होंने कहा, 'मैं कहना चाहता हूं कि स्थिरता की आवश्यकता है। सरकार को जारी रखने की जरूरत है और एक स्थापित लोकतांत्रिक प्रणाली को जारी रखने की जरूरत है।'

(IANS इनपुट के साथ)

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