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म्यांमार सेना ने गांवों पर बरसाए बम, मानवीय सहायता भी रोकी: एमनेस्टी इंटरनेशनल

रिपोर्ट में कहा गया है कि 4 जनवरी को शुरू हुई वीभत्स कार्रवाई के हिस्से के रूप में सैनिकों ने नागरिकों को हिरासत में लेने के लिए अस्पष्ट और दमनकारी कानूनों का भी इस्तेमाल किया.

Updated on: 11 Feb 2019, 06:20 PM

यंगून:

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सोमवार को कहा कि म्यांमार सेना ने संकटग्रस्त रखाइन राज्य में विद्रोहियों को निशाना बनाकर की गई कार्रवाई के बीच गांवों पर बम बरसाए हैं और नागरिकों को भोजन व मानवीय सहायता बाधित कर दी है. समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, गैर लाभकारी संस्था ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि 4 जनवरी को शुरू हुई वीभत्स कार्रवाई के हिस्से के रूप में सैनिकों ने नागरिकों को हिरासत में लेने के लिए अस्पष्ट और दमनकारी कानूनों का भी इस्तेमाल किया. अराकन सेना विद्रोहियों द्वारा पुलिस थानों व 13 अधिकारियों को मार डालने के बाद सेना ने कार्रवाई शुरू की थी.

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, विद्रोहियों को जड़ से मिटाने के लिए सेना द्वारा अभियान शुरू करने के बाद कम से कम 5,200 लोग लड़ाई से विस्थापित हुए हैं. सरकार ने इन विद्रोहियों को आतंकी करार दिया है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल की क्राइसिस रेस्पॉन्स की निदेशक त्रिराना हसन ने कहा, 'यह नया अभियान एक और चेतावनी है कि म्यांमार सेना को मानवाधिकारों की कोई परवाह नहीं है. गांवों पर बमबारी और किसी भी स्थिति में खाद्य आपूर्ति को रोकना अनुचित है.'

हसन ने म्यांमार प्रशासन पर नागरिकों की जिंदगियों और आजीविका के साथ जानबूझकर खेलने का आरोप लगाया.

मानवाधिकार समूह के मुताबिक, अधिकारियों ने रेड क्रॉस और संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम को छोड़कर अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा पांच जिलों के लिए भेजी जानी वाली मानवीय सहायता के प्रवेश पर रोक लगा दी है. इन पांच जिलों में अभी भी संघर्ष जारी है.

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एक प्रत्यक्षदर्शी ने एमनेस्टी को बताया कि सेना ने चावल जैसी जरूरती चीज की बिक्री और खरीद पर भी रोक लगा दी है.

एमनेस्टी ने कहा कि कम से कम 26 लोगों को अराकन सेना के साथ अवैध रूप से जुड़े होने के लिए गिरफ्तार किया गया है. इस जुर्म के लिए कठोर कारावास की सजा है.