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मनी लांड्रिंग केस : विजय माल्या के वकीलों ने कहा- भारत के पास नहीं है पर्याप्त सबूत

भारत में 9,000 करोड़ रुपये की कर्ज धोखाधड़ी तथा मनी लांड्रिंग मामले में आरोपी माल्या मंगलवार को वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में पहुंचे।

Updated on: 06 Dec 2017, 12:22 PM

नई दिल्ली:

मनी लांड्रिंग मामले में शराब कारोबारी विजय माल्या के वकीलों ने मंगलवार को आलदत में बचाव करते हुए कहा कि भारत सरकार के पास कोई सबूत उपलब्ध नहीं हैं जिससे वो इस मामले में धोखाधड़ी के आरोपों को सही साबित कर सके।

भारत में 9,000 करोड़ रुपये की कर्ज धोखाधड़ी तथा मनी लांड्रिंग मामले में आरोपी माल्या मंगलवार को वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में पहुंचे।

मामले की सुनवाई करते हुए भारत सरकार की तरफ से पैरवी कर रही क्राउन प्रोस्क्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने अपनी दलीलें रखी थी। जिसका पूरा जोर इस बात पर था कि माल्या को धोखाधड़ी के मामले में जवाब देना है।

बैरिस्टर क्लेयर मोंटगोमरी की अगुवाई में उनकी टीम ने दलीलों की शुरुआत करते हुए कहा कि धोखाधड़ी मामले के पक्ष में सबूत नहीं हैं।

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मोंटगोमरी ने दावा किया कि सीपीएस द्वारा भारत सरकार के निर्देश पर प्रस्तुत किये गये साक्ष्य न के बराबर हैं और यह भारत सरकार की नाकामी है।

उन्होंने दावा किया, सरकार के पास इस तर्क के समर्थन में कोई भरोसेमंद मामला नहीं है कि माल्या द्वारा लिया गया कर्ज धोखाधड़ी था और उनका ऋण वापस करने का कोई इरादा नहीं था।

उन्होंने कहा, ‘वास्तविकता यह है कि किसी एयरलाइंस कंपनी का मुनाफा आर्थिक पक्षों पर निर्भर करता है जो कि मुख्यत: साइक्लिक होता है और यह कंपनी के नियंत्रण से बाहर होता है।’

सीपीएस ने सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान माल्या पर तीन स्तर पर बेईमानी करने का आरोप लगाया था।

सीपीएस ने कहा कि सबसे पहले बैंकों से ऋण लेने के लिए गलत प्रस्तुति की गयी, उसके बाद धन का दुरुपयोग हुआ और अंत में बैंकों द्वारा ऋण वापस मांगे जाने पर भी गलत कदम उठाये गये।

सीपीएस के वकील मार्क समर्स ने कहा, ‘एक ईमानदार आदमी की तरह व्यवहार करने या करारनामे के हिसाब से काम करने के बजाय वह बचाव के प्रयास करते रहे।’

सीपीएस ने इससे पहले स्वीकार किया था कि बैंकों द्वारा कर्ज को मंजूरी देते समय आंतरिक प्रक्रियाओं में कुछ अनियमितताएं हुई होंगी लेकिन इस मुद्दे पर भारत में बाद में सुनवाई होगी।

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समर्स ने मामले में पूरे घटनाक्रम को विस्तार से बताया। इसमें नवंबर 2009 में किंगिफशर एयरलाइंस द्वारा आईडीबीआई बैंक से लिये गये कर्ज पर विशेष जोर था। गौरतलब है कि माल्या को स्कॉटलैंड यार्ड ने इस साल अप्रैल में प्रत्यर्पण वारंट पर गिरफ्तार किया था। वह 6.5 लाख पौंड की जमानत पर बाहर हैं।

मंगलवार को सुनवाई गुरुवार (7 दिसंबर) तक के लिए स्थगित कर दी गई, जिसमें माल्या के पक्ष में तर्क जारी रहेगा। हालांकि मामले की सुनवाई 11, 12, 13 और 14 दिसंबर को भी जारी रहने की उम्मीद है।

इस दौरान माल्या खुद ही मार्च 2016 से भारत से बाहर ब्रिटेन में रह रहे हैं।

आपको बता दें कि इस मामले में अगर न्यायधीश ने प्रत्यर्पण के पक्ष में फैसला दिया तब ब्रिटेन के गृहमंत्री को दो महीने के भीतर माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश जारी करना होगा।हालांकि, मामला खत्म होने से पहले ब्रिटेन की ऊपरी अदालतों में कई अपीलों से भी गुजर सकता है।

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