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चीन पर निशाना: कर्ज पर पीएम मोदी के भाषण की अमेरिकी रक्षा मंत्री मैटिस ने की तारीफ

अमेरिकी रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस भाषण की तारीफ की है जिसमें उन्होंने छोटे देशों के कर्ज के बोझ तले दबने के खतरे को लेकर आगाह किया था।

Updated on: 05 Jun 2018, 08:10 AM

नई दिल्ली:

अमेरिकी रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस भाषण की तारीफ की है जिसमें उन्होंने छोटे देशों के कर्ज के बोझ तले दबने के खतरे को लेकर आगाह किया था। मैटिस ने कहा कि पीएम मोदी ने लोन के खतरे को लेकर अपनी बात अच्छे तरीके से रखी।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में एक तरीके से चीन को निशाना बनाया था जो वन बेल्ट, वन रोड परियोजना के तहत जरिए दूसरे देशों को बड़े पैमाने पर लोन दे रहा है।

मैटिस और प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात शांगरी-ला डायलॉग से इतर सिंगापुर में शनिवार को हुई थी। पीएम मोदी ने इस सालाना कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था।

शांगरी-ला डायलॉग से स्वदेश लौटते हुए मैटिस ने पत्रकारों से कहा, 'उन्होंने (मोदी) सचमुच में लोन स्वीकार करने का एक अच्छा पॉइंट उठाया, जिसके जरिए दूसरे एजेंडे को पूरा करने की कोशिश हो सकती है।'

मैटिस ने कहा, 'मुझे याद है मोदी की स्पीच। यह किसी बड़े-बुजुर्ग को सुनने जैसा था। मुझे लगता है वह काफी अच्छा संबोधन था और मेरे दिमाग में अंकित हो गया था। मैंने वास्तव में भारी-भरकम कर्ज पर उनके पॉइंट को काफी पसंद किया।'

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अमेरिकी रक्षा मंत्री ने आगे कहा, 'भारी-भरकम कर्ज को लेकर मैं उस रात अपने कमरे में आकर सोच रहा था कि कर्ज बढ़ने से कैसे आप सैन्य लड़ाई लड़े बिना ही अपनी संप्रभुता और अपनी आजादी को भी खो सकते हैं। इसे आप आर्थिक रूप से भी गंवा सकते हैं।'

मोदी ने उन सरकारों की आलोचना की है जो भारी-भरकम बोझ से दूसरे देशों दबा देते हैं। ये इशारा चीन की तरफ था जिसका रवैया विवादित दक्षिण चीन सागर में संदिग्ध है और वह अपने बेल्ट ऐंड रोड इनिशटिव के जरिए दूसरे देशों को बड़े पैमाने पर लोन बांट रहा है।

चीन ने भारत के पड़ोसी देशों जैसे श्री लंका और पाकिस्तान को काफी लोन दिया है, जिससे वे चीनी कर्ज के बोझ तले दब गए हैं।

चीन के 'कर्ज कूटनीति' को लेकर पूरी दुनिया में चिंता जताई जा रही है। पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा था, 'उन्हें देशों को असंभव कर्ज के बोझ तले दबाने के बजाय सशक्त बनाना चाहिए। उन्हें रणनीतिक प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की बजाय कारोबार को बढ़ावा देना चाहिए। इन सिद्धांतों पर हम एक दूसरे के साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं।'

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