एक दशक पहले भी लिट्टे के हमले से दहला था श्रीलंका, अब फिर सीरियल ब्लास्ट
ईस्टर पर्व के दिन रविवार को हुए सीरियल ब्लास्ट से श्रीलंका दहल गया है.
नई दिल्ली:
ईस्टर पर्व के दिन रविवार को हुए सीरियल ब्लास्ट से श्रीलंका दहल गया है. एक के बाद एक आठ जगह हुए धमाके में अब तक 190 लोग मारे गए हैं. एक समय श्रीलंका पूरी दुनिया में आतंकी हमलों के लिए कुख्यात था. लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम (लिट्टे) प्रमुख वी प्रभाकरण को सेना के एक अभियान में 19 जून 2009 को मार दिया गया था.
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तमिल राष्ट्र के लिए श्रीलंका को गृहयुद्ध में धकेलने वाले प्रभाकरन को कुछ लोग, खासकर तमिल राष्ट्रवादी, अब भी महान योद्धा, स्वतंत्रता सेनानी और जननायक मानते हैं, लेकिन कुछ मानते हैं कि वह एक चरमपंथी थे, जिनकी नजर में इंसानी जान की कोई कीमत नहीं थी. जब वह मरा तब एक गोली उसके माथे को चीरती चली गई थी, जिसने उसके चेहरे को क्षत-विक्षत कर दिया था. इसके अलावा उसके शरीर पर चोट का एक भी निशान नहीं था.
जून 2008 में श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में हुए बम हमले में 22 लोगों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. यह बम लोगों से खचाखच भरी दो बसों में रखे गए थे. उस समय कई दिनों तक कोलंबो में कई बम हमले हुए थे, जिनमें आम नागरिकों को निशाना बनाया गया था.
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इससे तीन दिन पहले ही कोलंबो में कम से कम 24 लोग तब घायल हुए जब भीड़भाड़ वाली एक ट्रेन में बम विस्फोट हुआ. उससे कुछ दिन पहले कोलंबो के देहीवेला रेलवे स्टेशन पर हुए एक ऐसे ही बम हमले में आठ लोगों की मौत हो गई थी.
जनवरी 2008 में श्रीलंका के मोनारगला जिले में एक यात्री बस में शक्तिशाली बम विस्फोट हुआ था, जिसमें 23 व्यक्तियों की मौत हो गई और 67 घायल हो गए थे. रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि तमिल विद्रोहियों ने बटाला से ओकमपिटिया जा रही बस में विस्फोट किया. बस में बड़ी संख्या में स्कूली छात्र सवार थे.
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इन हमलों के लिए लिट्टे को जिम्मेवार ठहराया जाता रहा था. यह हमले ऐसे समय पर हो रहे थे जब श्रीलंका के उत्तरी हिस्से में श्रीलंकाई सेना और लिट्टे विद्रोहियों के बीच भीषण लड़ाई चल रही थी. उस समय ये माना गया था कि कोलंबो में बढ़ते हुए बम हमले लिट्टे की हताशा का एक संकेत था. श्रीलंका के पूर्वी हिस्से में भीषण संघर्ष के बाद सेना का दावा था कि उसने विद्रोहियों को इस इलाके से खदेड़ दिया और अब संघर्ष उत्तरी इलाकों में जारी है. इसके ठीक एक साल बाद वी प्रभाकरण मारा गया था.
पिछले 10 साल में श्रीलंका में ये सबसे बड़ा हमला है. देश में आखिरी सबसे बड़ी घटना साल 2006 में हुई थी. इस हमले को लिट्टे ने अंजाम दिया था. लिट्टे के इस कायराना हरकत को दिगमपटाया नरसंहार के नाम से जाना जाता है. लिट्टे से जुड़े उग्रवादियों ने श्रीलंकाई सेना को निशाना बनाकर एक ट्रक को सेना की 15 गाड़ियों के काफिले में घुसा दिया था. इस घटना में 120 नाविकों की मौत हुई थी.
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