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इस्लामिक स्टेट ने ईरान की सैन्य परेड में 29 लोगों की हत्या की जिम्मेदारी ली

दक्षिण पश्चिमी शहर अहवाज में यह हमला तब हुआ जब देश ने पूर्व इराकी शासक सद्दाम हुसैन के कार्यकाल के दौरान इराक के साथ हुए 1980-1988 के युद्ध की शुरुआत की वर्षगांठ मनाई।

Updated on: 22 Sep 2018, 11:14 PM

नई दिल्ली:

ईरान में शनिवार को वार्षिक सैन्य परेड पर आतंकवादियों के हमले में महिलाओं और बच्चों समेत कम से कम 29 लोग मारे गए। हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट (IS) ने ली है। ईरान ने क्षेत्र में अमेरिका के एक सहयोगी पर हमले का आरोप लगाया है। दक्षिण पश्चिमी शहर अहवाज में यह हमला तब हुआ जब देश ने पूर्व इराकी शासक सद्दाम हुसैन के कार्यकाल के दौरान इराक के साथ हुए 1980-1988 के युद्ध की शुरुआत की वर्षगांठ मनाई। हमले के बाद राष्ट्रपति हसन रूहानी ने 'कड़ा जवाब' देने की चेतावनी दी।

रूहानी ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर कहा, 'इस छोटे से खतरे पर ईरान का जवाब कड़ा होगा। जिन लोगों ने इन आतंकवादियों को सहयोग दिया, उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।'

ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ ने एक ट्वीट में कहा कि इराकी सीमा के पास यह हमला 'विदेशी सरकार द्वारा भर्ती, प्रशिक्षित किए गए और हथियारों से लैस आतंकवादियों' ने किया।

उन्होंने लिखा, 'ईरान ऐसे हमलों के लिए आतंकवाद के क्षेत्रीय प्रायोजकों और उनके अमेरिकी आकाओं को जिम्मेदार ठहराता है।' इस्लामिक स्टेट (IS) की प्रचार एजेंसी अमाक ने कहा, 'इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों ने दक्षिणी ईरान के अहवाज शहर में ईरानी सुरक्षाबलों पर हमला किया।'

सरकारी टेलीविजन ने बताया कि 29 लोग मारे गए और 57 अन्य घायल हुए हैं।

आधिकारिक समाचार एजेंसी इरना ने बताया कि मारे गए लोगों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। कई घायलों की हालत गंभीर है। हमले के शिकार लोग परेड देखने पहुंचे थे।

सशस्त्र बलों के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल अबोल्फज्ल शेकारची ने कहा, 'चार आतंकवादियों में तीन को मौके पर ही ढेर कर दिया गया तथा चौथा अन्य घायल हो गया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया।'

खुजेस्तान के उप गवर्नर अली हुसैन ने आईएसएनए समाचार एजेंसी को बताया कि मारे गए लोगों में 'आठ से दस' सैनिकों के साथ एक पत्रकार भी शामिल है।

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जरीफ ने यह स्पष्ट नहीं किया कि हमले के लिए कौन-सा क्षेत्रीय देश जिम्मेदार है, लेकिन ईरान के एलीट रेवोल्यूशनरी गार्ड ने कहा कि हमलावर चिर प्रतिद्वंद्वी सुन्नी देश सऊदी अरब द्वारा वित्त पोषित थे।