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डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका में डर रहे हैं भारतीय छात्र: सर्वे

अमेरिका में पढ़ाई को लेकर भारतीय छात्रों में गहरी चिंता सता रही है। एक नए सर्वे के अनुसार बड़ी संख्या में छात्र अपनी शारीरिक सुरक्षा और स्वतंत्र अनुभव को लेकर चिंतित हैं।

Updated on: 15 Jul 2017, 03:13 PM

highlights

  • 10 लाख से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्र अमेरिका में पढ़ाई कर रहे हैं
  • इन छात्रों का अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 36 बिलियन डॉलर से भी अधिक का योगदान

नई दिल्ली:

अमेरिका में पढ़ाई को लेकर भारतीय छात्रों में गहरी चिंता सता रही है। एक नए सर्वे के अनुसार बड़ी संख्या में छात्र अपनी शारीरिक सुरक्षा और स्वतंत्र अनुभव को लेकर चिंतित हैं।

अंतरराष्ट्रीय शिक्षा संस्थान (IIE) ने कहा कि यूएस सुप्रीम कोर्ट के जून में डोनाल्ड ट्रंप के 6 मुस्लिम देशों पर प्रतिबंध के फैसले को तात्कालिक रूप से बनाए रखने के कारण ये छात्र डरे हुए हैं।

संस्थान ने कहा है कि 10 लाख से अधिक अंतर्राष्ट्रीय छात्र अमेरिका में पढ़ाई कर रहे हैं और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 36 बिलियन डॉलर से भी अधिक का योगदान कर रहा है।

सन 1919 में स्थापित IIE ने कहा कि सर्वे के परिणाम, भारत के साथ- साथ मध्य पूर्व से आने वाले छात्रों के नामांकन में बड़ी गंभीर रूप से सांस्थानिक समस्या पैदा कर रही है।

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इसने कहा कि 31 प्रतिशत संस्थानें इस बात को लेकर चिंतित हैं कि मध्य एशिया के छात्र एडमिशन ऑफर स्वीकार करने के बाद भी कैंपस नहीं पहुंच रहे हैं। और 20 प्रतिशत संस्थानें भारतीय छात्रों के नहीं आने के कारण ज्यादा चिंतित हैं।

46 प्रतिशत संस्थानों को रिपोर्ट के अनुसार सभी छात्रों के बीच वीजा बनाने की समस्याएं आ रही हैं। 80 प्रतिशत संस्थानों ने बताया कि भारतीय छात्रों के लिए शारीरिक सुरक्षा की समस्या बड़ी चिंता का विषय है।

सर्वे के अनुसार, मौजूदा हालातों के बावजूद अमेरिका में पढाई के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्रों की रूचि पहले की तरह ही बनी हुई है। लेकिन 112 कॉलेजों के द्वारा दिए गए रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस साल छात्रों के आने की संख्या में 2 प्रतिशत की गिरावट हुई है।

गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद 7 मुस्लिम बहुल देशों पर अमेरिका में प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद गैरप्रवासी वीजा नीति में किए गए बदलावों से कई देशों को अमेरिका जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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