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भारत और चीन ने अफगानिस्तान में संयुक्त आर्थिक परियोजना पर बनाई सहमति, पाकिस्तान के लिए झटका

भारत और चीन ने शनिवार को अफगानिस्तान में एक संयुक्त आर्थिक परियोजना पर सहमति जताई है। भारत और चीन की इस परियोजना से पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।

Updated on: 28 Apr 2018, 04:16 PM

highlights

  • भारत और चीन ने अफगानिस्तान में संयुक्त आर्थिक परियोजना पर जताई सहमति
  • इस कदम से अफगानिस्तान में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर लगाम लग सकती है
  • मध्य एशिया और क्षेत्रीय समृद्धि को लेकर अफगानिस्तान को पुल की तरह देख रहा है भारत

नई दिल्ली:

भारत और चीन ने शनिवार को अफगानिस्तान में एक संयुक्त आर्थिक परियोजना पर सहमति जताई है। भारत और चीन की इस परियोजना से पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।

सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वुहान में दो दिवसीय शिखर वार्ता के बाद अफगानिस्तान में आर्थिक परियोजना के लिए सहमति बनी जिससे दोनों देश एक तीसरे देश में सहयोगी के तौर पर संगठित हो सकते हैं।

वुहान समिट के बाद यह साफ हो गया है कि भारत और चीन 2017 में हुए तमाम चीजों को पीछे छोड़कर एक नई शुरुआत करने जा रहे हैं।

वुहान समिट से पहले ही बीजिंग ने भारतीय अधिकारियों को बुलाया था जिसमें अफगान डील पर चर्चा की गई थी और संयुक्त विकास परियोजना में शामिल होने का प्रस्ताव दिया गया था।

युद्धग्रस्त देश में इस तरह की पहली परियोजना शुरू होगी जहां चीन अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। भारत और चीन के बीच अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने और आर्थिक परियोजनाओं पर काम करने को लेकर सहमति बनी है।

भारत और चीन के इस कदम से अफगानिस्तान में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर लगाम लगाई जा सकती है।

भारत अफगानिस्तान में सड़क और बांधों के निर्माण से लेकर अफगान संसद के निर्माण के लिए और साथ ही कई जमीनी परियोजनाओं के लिए दो बिलियन डॉलर की राशि खर्च करेगा।

इसके अलावा भारत अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिये पहले से ही वहां पर काम कर रहा है और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में आर्थिक मदद भी दे रहा है। 

अफगानिस्तान में भारत कई महत्वपूर्ण आर्थिक और रणनीतिक कार्यों में भागीदार होगा। आर्थिक दृष्टिकोण से भारत मध्य एशिया और क्षेत्रीय समृद्धि को लेकर अफगानिस्तान को पुल की तरह देख रहा है।

साथ ही रणनीतिक और सुरक्षा की दृष्टि से भारत को आतंकी नेटवर्क को खत्म करने के लिए काबुल बहुत महत्वपूर्ण है जिसे लगातार पाकिस्तान की तरफ से समर्थन मिलता रहा है।

चीन भी तालिबान समर्थित आतंकवादी नेटवर्कों के प्रभाव को खत्म करने को लेकर तैयारी कर रहा है।

मोदी और जिनपिंग की मुलाकात के बाद विदेश सचिव ने कहा, आतंकवाद से निपटने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग ने अपनी प्रतिबद्धता जताई, सभी तरह के आतंक के खिलाफ दोनों देश मिलकर लड़ेंगे।

शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद और आतंकवाद पर विशेष रूप से चर्चा हुई। साथ ही दोनों देशों ने लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद को खत्म करने पर भी सहमत हुए हैं।

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