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पाक के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ इस मामले में गैर-जमानती वारंट जारी

पूर्व राष्ट्रपति और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया।

Updated on: 17 Aug 2018, 07:19 PM

नई दिल्ली:

पाकिस्तान की एक बैंकिंग अदालत ने शुक्रवार को अरबों रुपये के धन शोधन घोटाले(मनी लॉन्‍ड्रिंग केस) के सिलसिले में देश के पूर्व राष्ट्रपति और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया।

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अदालत ने अधिकारियों को जरदारी व अन्य संदिग्धों को चार सितंबर को पेश करने का निर्देश दिया है। हालांकि, पीपीपी(PPP) के प्रवक्ता फरहतुल्लाह बाबर ने जरदारी के वकीज फारूक नाईक के हवाले से बताया कि उनके नेता के खिलाफ कोई वारंट जारी नहीं किया गया है।

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फेडरल इन्वेस्टिंग एजेंसी फर्जी खाते के जरिए धन शोधन के मामले में जरदारी और उनकी बहन फरयाल तालपुर समेत 32 लोगों की जांच कर रही है। जरदारी के विश्वस्त हुसैन लवाई को पिछले महीने जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया।

बैंकिंग अदालत ने इससे पहले तालपुर की अंतरिम जमानत की अवधि को अगली सुनवाई तक के लिए बढ़ा दिया।

मामला संदिग्ध लेनदेन में 2015 में हुई जांच से संबंधित है, जिसमें 29 बेनामी खातों की पहचान की गई थी, जिनमें से 16 खाते समिट बैंक में, आठ सिंध बैंक में और पांच यूनाइटेड बैंक लिमिटेड में थे।

मोटी रिश्वत में प्राप्त धन का इस्तेमाल करने के लिए कथित तौर पर फर्जी खातों का उपयोग किया गया।

फर्जी खातों से कुल 35 अरब रुपये (पाकिस्तानी रुपया) के संदिग्ध लेन-देन में संलिप्त लोगों में जरदारी और तालपुर भी शामिल हैं।

पाकिस्तानी स्टॉक एक्सचेंज के पूर्व अध्यक्ष और जरदारी के विश्वस्त हुसैन लवाई, ओम्नी ग्रुप ऑफ कंपनीज के चेयरमैन ख्वाजा अनवर मजीद और उनके भाई घानी मजीद और सह-आरोपी व समिट बैंक के प्रमुख ताहा राजा को मामले में पहले ही गिरफ्तार किया गया है।

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