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बंद होगी आतंक की फंडिंग, FATF में ब्लैक लिस्ट होने से बचने के लिए पाकिस्तान लाएगा 26 सूत्रीय ऐक्शन प्लान

आतंकवाद के मुद्दे पर फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) की तरफ से ब्लैक लिस्ट होने से बचने के लिए पाकिस्तान ने नया एक्शन प्लान बनाने का वादा किया है।

Updated on: 27 Jun 2018, 07:28 PM

नई दिल्ली:

आतंकवाद के मुद्दे पर फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) की तरफ से ब्लैक लिस्ट होने से बचने के लिए पाकिस्तान ने नया एक्शन प्लान बनाने का वादा किया है।

पाकिस्तान ने आतंक के मुद्दे पर हार मानते हुए 15 महीनों के अंदर 26-सूत्रीय ऐक्शन प्लान तैयार करने की बात की है जिसके तहत यूएन की ओर से प्रतिबंधित आतंकी संगठन आईएसआईएस और हक्कानी नेटवर्क जैसे संगठनों को मिलने वाली फंडिंग पर रोक लगाई जा सकेगी।

पाकिस्तान ने यह बात वर्तमान में पेरिस में चल रही FATF की मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकियों की फंडिंग को रोकने को लेकर हो रही मीटिंग के दौरान कही।

गौरतलब है कि वर्तमान में पाकिस्तान पर आतंकी संगठनों को आर्थिक मदद मुहैया कराने के लिए निगरानी की जा रही है।

पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून में छपी खबर के अनुसार वित्त मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों ने इसको लेकर जानकारी दी है।

उन्होंने बताया कि पाकिस्तान सरकार ने मंगलवार को इस ऐक्शन प्लान पर चर्चा भी शुरू कर दी है।

बता दें कि अगर FATF पाकिस्तान के 26-सूत्रीय ऐक्शन प्लान से संतुष्ट होता है तो ही उसे ग्रे लिस्ट में शामिल किया जाएगा। हालांकि अगर FATF में असंतुष्टि बनी रहती है तो पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा।

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शुक्रवार को इस 26-सूत्रीय ऐक्शन प्लान पर फैसला लिया जा सकता है।

इससे पहले एशिया पैसिफिक ग्रुप के इंटरनैशनल को-ऑपरेशन रिव्यू ग्रुप (ICRG) ने FATF एक्शन प्लान सौंपा था जिसके अनुसार पाकिस्तान को आईएसआईएस, अल-कायदा, जमात-उद-दावा और उसके सहयोगी संगठन, हक्कानी नेटवर्क पर फंडिंग को रोकने के लिए इंटरनेशनल एजेंसियों के साथ सहयोग करना होगा।

इससे पहले भी पाकिस्तान आतंकवादी संगठनोंं को फंडिंग मुहैया कराने के कारण 2012 से 2015 तक FATF की ग्रे लिस्ट में रह चुका है।

खबरों के अनुसार पाकिस्तान की ओर से घोषित किए गए सभी 26-सूत्रीय ऐक्शन प्लान को सितंबर 2019 तक पूरा करना होगा।

आपको बता दें कि FATF पेरिस स्थित अंतर-राष्ट्रीय संस्था है जो वैश्विक स्तर पर आतंक की फंडिंग को रोकने के लिए नियम बनाता है। इसका गठन 1989 में किया गया था।

FATF की ग्रे या ब्लैक लिस्ट में डाले जाने पर किसी भी देश को अंतर-राष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में काफी कठिनाई आती है।

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