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पाकिस्तान : आम चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन

वैश्विक आतंकवाद में संलिप्त रहने तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों की हत्याओं के आरोपी कुछ कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन भी अपने उम्मीदवार खड़े कर रहे हैं जिससे रूढ़िवादी देश में कट्टरपंथ के और बढ़ने का खतरा बढ़ गया है।

Updated on: 18 Jul 2018, 11:09 PM

नई दिल्ली:

पाकिस्तान में आगामी 25 जुलाई को हो रहे आम चुनावों में ईश निंदा कानून का समर्थन करने वाले और वैश्विक आतंकवाद में संलिप्त रहने तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों की हत्याओं के आरोपी कुछ कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन भी अपने उम्मीदवार खड़े कर रहे हैं जिससे रूढ़िवादी देश में कट्टरपंथ के और बढ़ने का खतरा बढ़ गया है।

इन पार्टियों में आतंकवादी संगठनों से संबंध रखने में आरोपी अल्लाह-ओ-अकबर तहरीक (एएटी), देश में इस्लामिक कानून लागू करने का वादा कर रही तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) और देश में शिया और अन्य अल्पसंख्यक धर्मो के खिलाफ हिंसा भड़काने की आरोपी अहले सुन्नत वल जमात संगठन शामिल हैं।

टीएलपी उम्मीदवार रिजवान अहमद ने इस्लामाबाद के बाहर एक चुनावी जनसभा में चिल्लाकर कहा, "आपको इस्लाम के लिए मतदान करना होगा।"

पिछले साल नवंबर में पाकिस्तान सरकार के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन करने से पहले टीएलपी इतना जाना-पहचाना संगठन नहीं था। इन प्रदर्शनों के बाद वरिष्ठ अधिकारियों की शपथ बदलने के मुद्दे पर पाकिस्तान के न्यायमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था। संगठन ने शपथ में बदलाव को ईश निंदा बताया गया था।

समाचार एजेंसी एफे के अनुसार, आठ महीनों के बाद टीएलपी उन दलों में शामिल है जिसके सर्वाधिक उम्मीदवार (राष्ट्रीय संसद के लिए 178 तथा स्थानीय चुनाव क्षेत्रों के लिए 388) मैदान में हैं।

अहमद के अनुसार, "पार्टी इस्लाम को दोबारा शक्तिशाली करना चाहती है क्योंकि इस्लाम में हर समस्या का समाधान है।"

साल 2011 में पंजाब प्रांत के पूर्व गवर्नर सलमान तासीर की हत्या के जुर्म में चरमपंथी मुमताज कादरी को फांसी मिलने के बाद 2016 में टीएलपी की स्थापना हुई थी।

शिया और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा फैलाने के आरोपों के बावजूद टीएलपी का नाम सरकार ने आतंकवादी संगठनों की सूची से वापस ले लिया था।

इस्लामाबाद में एक अन्य जनसभा में मिल्ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) सदस्य सईद अहमद 2010 में बाढ़ और 2005 में अपनी भूकंप के दौरान अपनी पार्टी के कामों का प्रचार कर रहा था।

अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादियों की सूची में शामिल और आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध जमात-उद-दावा की राजनीतिक शाखा एमएमएल, अल्लाह-ओ-अकबर तहरीक की छत्रछाया में आम चुनाव लड़ रहा है। चुनाव आयोग ने एमएमएल को राजनीतिक दल की मान्यता देने से इनकार कर दिया था।

अमेरिका और भारत ने लश्कर को 2008 के मुंबई हमले सहित कई अन्य हमलों का आरोपी बताया है। मुंबई हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी।

पाकिस्तान के मानवाधिकार संगठन, मुख्य राजनीतिक पार्टियां और मीडिया ने ऐसे संगठनों के राजनीति में उतरने से होने वाले खतरे के खिलाफ बार-बार चेतावनी दी है।