सीमा विवाद पर बिगड़ने लगे हालात, चीन के सरकारी अखबार ने कंपनियों को भारत में निवेश घटाने की दी सलाह
चीन के सरकारी अखबार ने चीनी कंपनियों को भारत में बढ़ रहे चीन विरोधी भावना से सतर्क रहने को लेकर आगाह किया है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक आर्टिकल में चीनी कंपनियों को भारत में अपना निवेश घटाने के लिए कहा गया है।
highlights
- चीन के सरकारी अखबार ने चीनी कंपनियों को भारत में बढ़ रहे चीन विरोधी भावना से सतर्क रहने को लेकर आगाह किया है
- चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक आर्टिकल में चीनी कंपनियों को भारत में अपना निवेश घटाने के लिए कहा गया है
नई दिल्ली:
चीन के सरकारी अखबार ने चीनी कंपनियों को भारत में बढ़ रहे चीन विरोधी भावना से सतर्क रहने को लेकर आगाह किया है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक आर्टिकल में चीनी कंपनियों को भारत में अपना निवेश घटाने के लिए कहा गया है।
भारत में रिटेल और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में चीनी कंपनियों का बोलबाला है।
वियतनाम का जिक्र करते हुए इस आर्टिकल में कहा गया है कि भारत में भी चीनी हितों के खिलाफ आक्रामक हमले हो सकते हैं। इसमें कहा गया है कि अगर दोनों देश के बीच सीमा पर छोटे स्तर पर सैन्य तनाव में वृद्धि होती है, तो चीनी हितों पर आक्रामक हमले हो सकते हैं।
अखबार में कहा गया है, 'भारत में काम कर रही चीनी कंपनियों को सतर्क रहने की जरूरत है। इन कंपनियों को चीन विरोधी भावनाओं से निपटने के लिए ऐहतियातन उपाय करने चाहिए।'
इससे पहले भारत में चीन के राजदूत लू झाओही ने कहा था कि सीमा विवाद के मामले में भारत को तय करना है कि वह इसे कैसे सुलझाना चाहता है।
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चीन की सरकारी मीडिया और थिंक टैंक की तरफ से गतिरोध नहीं सुलझाए जाने की स्थिति में युद्ध की धमकी दिए जाने के बारे में पूझे जाने पर लू ने कहा, 'विकल्पों के बारे में बातचीत की जा रही है। यह आपकी सरकार के ऊपर है। (क्या वह इसका युद्ध के जरिये समाधान निकालना चाहते हैं।)'
अखबार ने एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध किए जाने के मामले में शिव सेना के कार्यकर्ताओं की तरफ से चीनी झंडे को जलाए जाने की घटना का जिक्र करते हुए कहा गया है, 'भारत और चीन के बीच का विवाद स्थानीय लोगों के बीच राष्ट्रवादी भावनाओं को भड़का सकता है।'
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रिपोर्ट में बताया गया है कि रिटेल और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री को भारतीयों की तरफ से होने वाले संभावित बहिष्कार का ध्यान रखना चाहिए।
अखबार में लिखा गया है, 'हालांकि भारत एक संभावित बाजार है लेकिन चीन के निवेशकों को फिलहाल देखो और इंतजार करने की नीति अपनानी चाहिए। इस संदर्भ में आने वाले दिनों में भारत में चीन की तरफ से होने वाले निवेश में कमी आने की संभावना है।'
2015 तक भारत में चीनी कंपनियों का निवेश 3.55 अरब डॉलर रहा है। 6 जून के बाद सिक्किम में दोनों देशों की सेना आमने-सामने है।
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