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तिब्बती चरवाहे भारत की अरुणाचल सीमा के पास बस्ती बसाएं, चीनी क्षेत्र की करें सुरक्षा: शी जिनपिंग

दक्षिण-पश्चिम चीन के तिब्बत में स्थित लुन्झे भारत के अरुणाचल प्रदेश के पास है, जिस पर चीन अपना दावा करता है और इसे दक्षिणी तिब्बत कहता है।

Updated on: 29 Oct 2017, 10:39 PM

highlights

  • तिब्बत में स्थित लुन्झे भारत के अरुणाचल प्रदेश के पास है, चीन करता रहा है दावा
  • हाल में डोकलाम पर दो महीने से ज्यादा समय तक भारत-चीन में रही थी तनातनी

नई दिल्ली:

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दूसरी बार अपने हाथ में सत्ता आने के बाद तिब्बत में रह रहे चरवाहों से अपनी बस्ती भारत-चीन सीमा के पास बसाने और चीनी क्षेत्र की सुरक्षा करने को कहा है।

दरअसल, तिब्बत के लुन्झे स्थित एक परिवार की दो बेटियों ने शी जिनपिंग को पत्र लिखकर अपने कस्बे की आपबीती बताई थी, जिसके जवाब में शी ने उन्हें भारत-चीन सीमा क्षेत्र के पास बसेरा डालने को कहा।

दक्षिण-पश्चिम चीन के तिब्बत में स्थित लुन्झे भारत के अरुणाचल प्रदेश के पास है, जिस पर चीन अपना दावा करता है और इसे दक्षिणी तिब्बत कहता है।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, शी ने चरवाहों के एक परिवार से सीमावर्ती क्षेत्र में बस्ती बसाने, चीनी क्षेत्र की सुरक्षा करने और वहां पर बस्ती का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित किया।

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रिपोर्ट के मुताबिक, शी ने क्षेत्र की सुरक्षा के लिए परिवार के प्रयासों को स्वीकारा और सीमावर्ती क्षेत्र में उनकी वफादारी और योगदान के प्रति आभार जताया। शी ने कहा, 'क्षेत्र में शांति के बिना लाखों परिवार शांतिपूर्ण ढंग से नहीं रह सकेंगे।'

उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह परिवार और भी कई चरवाहे परिवारों को सीमावर्ती क्षेत्र में बसने के लिए प्रेरित करेगा और चीनी क्षेत्र का संरक्षक बनेगा। गौरतलब है कि अगस्त में भारत और चीन की सेनाओं के बीच डोकलाम पर दो महीने से अधिक समय तक चला गतिरोध खत्म हुआ था।

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इस गतिरोध के दौरान चीन ने तिब्बत में युद्ध टैंक भेजे थे और सैन्याभ्यासों का संचालन किया था। भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा को लेकर विवाद है। इस संदर्भ में दोनों देशों के बीच 1962 में युद्ध भी हुआ था।

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) का दोबारा महासचिव निर्वाचित होने के बाद शी ने सेना से तैयार रहने को कहा था।

शी ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा था कि चीन पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए तैयार है, लेकिन वह अपनी संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने वाली चीजों को सहन नहीं कर सकता।

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