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NSA अजित डोभाल के बीजिंग दौरे से पहले चीन ने कहा, भारत अपनी सेना वापस बुलाए तभी होगी बातचीत

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने कहा कि भारत अपने सैनिकों को बिना शर्त वापस बुलाए और दोनों देशों के बीच किसी सार्थक वार्ता के लिए यह पूर्व शर्त है।

Updated on: 26 Jul 2017, 05:36 PM

नई दिल्ली:

बीजिंग में ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) की बैठक में भाग लेने के लिए भारतीय एनएसए अजीत डोभाल के यहां पहुंचने से पहले चीन ने बुधवार को स्पष्ट किया कि सीमा गतिरोध मुद्दे पर बातचीत की यह 'पूर्वशर्त' है कि भारत अपने सैनिकों को डोकलाम से वापस बुला ले।

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि विदेश मंत्री वांग यी की टिप्पणी 'आधिकारिक' है। वांग यी ने मंगलवार को सीमा विवाद के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया था और उसे अपने सैनिकों को वापस बुलाने के लिए कहा था।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने कहा, 'इस मुद्दे का समाधान, जैसा विदेश मंत्री ने सुझाया है, यही है कि भारत अपने सैनिकों को बिना शर्त वापस बुलाए और दोनों देशों के बीच किसी सार्थक वार्ता के लिए यह पूर्व शर्त है।'

डोभाल बीजिंग में आयोजित दो दिवसीय ब्रिक्स एनएसएस बैठक में गुरुवार को शिरकत करेंगे। भारत तथा चीन के बीच सीमा विवाद के बीच यह बैठक बेहद अहम मानी जा रही है।

यह हालांकि स्पष्ट नहीं हुआ है कि डोभाल बैठक से इतर चीन के शीर्ष राजनयिक यांग जेची से मुलाकात करेंगे या नहीं। सोमवार को एक संपादकीय में कहा गया कि भारत को डोभाल के दौरे से यह उम्मीद नहीं लगानी चाहिए कि सीमा गतिरोध का समाधान निकल आएगा।

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चीन ने बार-बार भारत से डाकोला (डोकलाम) से अपने सैनिकों को वापस बुलाने के लिए कहा है। डोकलाम को चीन अपना भूभाग मानता है। भारत ने कहा है कि दोनों देशों के सैनिकों को उस जगह से हटना चाहिए, क्योंकि यह उसके सहयोगी देश भूटान का हिस्सा है।

भूटान का चीन के साथ कोई कूटनीतिक संबंध नहीं है और उसने डोकोला में चीन द्वारा सड़क निर्माण का विरोध भी किया है। डोकलाम में चीन, भारत तथा भूटान तीनों देशों की सीमाएं आकर मिलती है और इसका तीनों देशों के लिए रणनीतिक महत्व है।

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भारतीय सेना ने जून में चीनी सैनिकों द्वारा इस इलाके में सड़क निर्माण पर रोक लगा दी थी, जिसके कारण दोनों देशों के सैनिकों के बीच ठन गई थी। डोकलाम में दोनों देशों के सैनिकों के बीच गतिरोध का यह दूसरा महीना है।