चेतावनी के बावजूद अमेरिका ने यरुशलम को माना इज़राइल की राजधानी, अरब देशों ने जताया विरोध
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने दशकों पुरानी अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय नीति के उलट यरुशलम को इज़राइल की राजधानी के तौर पर मान्यता दे दी।
highlights
- डोनल्ड ट्रंप ने यरुशलम को इज़राइल की राजधानी माना
- अरब नेताओं ने किया विरोध, शांति के लिए बताया चुनौतीपूर्ण
- ट्रंप ने 2016 राष्ट्रपति चुनाव के दौरान किया था वादा
नई दिल्ली:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने दशकों पुरानी अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय नीति के उलट यरुशलम को इज़राइल की राजधानी के तौर पर मान्यता दे दी। ट्रंप के इस ऐलान पर अरब नेताओं ने विरोध जताते हुए मध्य एशिया की शांति के लिए चुनौतीपूर्ण बताया है।
इस विवादित फैसले के बारे में ट्रंप ने अपने 2016 राष्ट्रपति चुनाव के दौरान वादा भी किया था, जिसका उनके समर्थकों ने स्वागत किया था।
ट्रंप ने लाइव टीवी प्रसारण में यह बात कही। उन्होंने कहा, 'मैंने निर्धारित किया है कि यह समय यरुशलम को इज़राइल की राजधानी के तौर पर आधिकारिक पहचान मानने का है।'
साथ ही उन्होंने विदेश मंत्रालय को तत्काल यरुशलम में अमेरिकी दूतावास बनाने के भी निर्देश दिए।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, 'आज हम अंत में स्पष्ट रूप से स्वीकार करते हैं: यह यरुशलम इजरायल की राजधानी है। यह एक वास्तविकता को पहचानने से ज्यादा और कम कुछ नहीं है। यह करना सही बात है। इसे करना ही चाहिए था।'
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साथ ही, ट्रंप ने इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष का समाधान निकालने के लिए दो-राज्य नीति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि अमेरिकी शांति समझौता चाहता है और "यरुशलम में इजरायल की संप्रभुता या सीमाओं के समाधान की स्थिति" पर कोई फैसला नहीं लेगा।
ट्रंप ने कहा, 'संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों पक्षों की सहमति पर आधारित शांति समझौते के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध है। मैं इस समझौते के लिए अपनी सामर्थ्य के मुताबिक सब कुछ करना चाहता है।'
हालांकि उन्होंने माना कि इस फैसले पर असहमति और विरोध होगा लेकिन अमेरिका इसके लिए ज़रुरी कदम उठाएगा।
ट्रंप ने कहा, 'इस घोषणा के बारे में असहमति और असंतोष होगा, लेकिन हमें पूरा भरोसा है कि अंततः, जैसा कि हम इन असहमतियों के जरिये काम करते हैं, हम अधिक समझदारी और सहयोग की ओर पहुंचेंगे '
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अपने संबोधन में, ट्रंप ने कहा कि दो दशक पहले कांग्रेस के फैसले के बावजूद उनके पूर्ववर्ती सरकारें इस संबंध में कोई फैसला नहीं कर पाईं।
ट्रंप ने याद दिलाया कि साल 1995 में, कांग्रेस ने यरुशलम दूतावास अधिनियम को अपनाया, जिसमें अमेरिकी दूतावास को यरुशलम में स्थानांतरित करने और उस शहर को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के लिए संघीय सरकार से आग्रह किया गया था।
उन्होंने कहा, 'यह अधिनियम एक भारी द्विदलीय बहुमत से कांग्रेस द्वारा पारित किया गया और केवल छह महीने पहले सीनेट में सर्वसम्मति वोट से दोबारा पुष्टि की गई।' उन्होंने कहा कि यरुशलम सिर्फ तीन महान धर्मों का केंद्र नहीं है, बल्कि यह दुनिया में सबसे सफल लोकतंत्रों में से एक है।
बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय यरुशलम पर इज़राइल के कब्जे को अवैध मानता है और अधिकांश देशों के दूतावास में उनके पास है तेल अवीव में है।
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